શ્લોકો...

 [27/07, 06:33] Mayurbhai Vyas Slok: 🌹🙏 *हरी: ऊं*🙏🌹



*स्वभावाद्यस्य नैवार्ति-र्लोकवद् व्यवहारिणः।*

*महाहृद इवाक्षोभ्योगतक्लेशः स शोभते॥*



जो बड़े सरोवर के समान शांत है और लौकिक आचरण करते हुए जिसको अन्य लोगों के समान दुःख नहीं होता, वह दुःख रहित ज्ञानी शोभित होता है ॥



He who by his very nature feels no unhappiness in his daily life like worldly people, remains undisturbed like a great lake, all sorrow gone . 



🙏 सुप्रभातम्🙏

🙏 *आपका दिन मंगलमय हो*🙏♏♈

[28/07, 07:05] Mayurbhai Vyas Slok: 🌹🙏 *हरी: ऊं*🙏🌹


*निवृत्तिरपि मूढस्यप्रवृत्ति रुपजायते।*

*प्रवृत्तिरपि धीरस्यनिवृत्तिफलभागिनी॥*



मूढ़ में निवृत्ति से भी प्रवृत्ति उत्पन्न हो जाती है और धीर पुरुष की प्रवृत्ति भी निर्वृत्ति के समान फलदायिनी है ॥



Even abstention from action leads to action in a fool, while even the action of the wise man brings the fruits of inaction . 




🙏 सुप्रभातम्🙏

🙏 *आपका दिन मंगलमय हो*🙏♏♈

[29/07, 07:12] Mayurbhai Vyas Slok: 🌹🙏 *हरी: ऊं*🙏🌹


*परिग्रहेषु वैराग्यंप्रायो मूढस्य दृश्यते।*

*देहे विगलिताशस्यक्व रागः क्व विरागता॥*



अज्ञानी पुरुष प्रायः गृह आदि पदार्थों से वैराग्य करता दिखाई देता है पर जिसका देह-अभिमान नष्ट हो चुका है, उसके लिए कहाँ राग और कहाँ विराग ॥



A fool often shows aversion towards his belongings, but for him whose attachment to the body has dropped away, there is neither attachment nor aversion . 




🙏 सुप्रभातम्🙏

🙏 *आपका दिन मंगलमय हो*🙏♏♈

[30/07, 06:59] Mayurbhai Vyas Slok: 🌹🙏 *हरी: ऊं*🙏🌹


*भावनाभावनासक्तादृष्टिर्मूढस्य सर्वदा।*

*भाव्यभावनया सा तुस्वस्थस्यादृष्टिरूपिणी॥*



अज्ञानी की दृष्टि सदा भाव या अभाव में लगी रहती है, पर धीर पुरुष तो दृश्य को देखते रहने पर भी आत्म स्वरूप को देखने के कारण कुछ नहीं देखती ॥



The mind of the fool is always caught in an opinion about becoming or avoiding something, but the wise man's nature is to have no opinions about becoming and avoiding .




🙏 सुप्रभातम्🙏

🙏 *आपका दिन मंगलमय हो*🙏♏♈

[31/07, 06:42] Mayurbhai Vyas Slok: 🌹🙏 *हरी: ऊं*🙏🌹


*सर्वारंभेषु निष्कामोयश्चरेद् बालवन् मुनिः।*

*न लेपस्तस्य शुद्धस्यक्रियमाणोऽपि कर्मणि॥*



जो धीर पुरुष सभी कार्यों में एक बालक के समान निष्काम भाव से व्यवहार करता है, वह शुद्ध है और कर्म करने पर भी उससे लिप्त नहीं होता ॥



For the seer who behaves like a child, without desire in all actions, there is no attachment for such a pure one even in the work he does .




🙏 सुप्रभातम्🙏

🙏 *आपका दिन मंगलमय हो*🙏♏♈

[01/08, 06:44] Mayurbhai Vyas Slok: 🌹🙏 *हरी: ऊं*🙏🌹


*स एव धन्य आत्मज्ञःसर्वभावेषु यः समः।*

*पश्यन् शृण्वन् स्पृशन् जिघ्रन्न् अश्नन्निस्तर्षमानसः॥*



वह आत्मज्ञानी धन्य है जो सभी स्थितियों में समान रहता है । देखते, सुनते, छूते, सूंघते और खाते-पीते भी उसका मन कामना रहित होता है ॥



Blessed is he who knows himself and is the same in all states, with a mind free from craving whether he is seeing, hearing, feeling, smelling or tasting . 




🙏 सुप्रभातम्🙏

🙏 *आपका दिन मंगलमय हो*🙏♏♈

[02/08, 06:54] Mayurbhai Vyas Slok: 🌹🙏 *हरी: ऊं*🙏🌹


*क्व संसारः क्व चाभासःक्व साध्यं क्व च साधनं।*

*आकाशस्येव धीरस्यनिर्विकल्पस्य सर्वदा॥*



धीर पुरुष सदा आकाश के समान निर्विकल्प रहता है । उसकी दृष्टि में संसार कहाँ और उसकी प्रतीति कहाँ? उसके लिए साध्य क्या और साधन क्या? ॥



There is no man subject to samsara , sense of individuality, goal or means to the goal for the wise man who is always free from imaginations, and unchanging as space . 




🙏 सुप्रभातम्🙏

🙏 *आपका दिन मंगलमय हो*🙏♏♈

[03/08, 06:53] Mayurbhai Vyas Slok: 🌹🙏 *हरी: ऊं*🙏🌹


*स जयत्यर्थसंन्यासीपूर्णस्वरसविग्रहः।*

*अकृत्रिमोऽनवच्छिन्नेसमाधिर्यस्य वर्तते॥*



जिस सन्यासी को अपने अखंड स्वरुप में सदा स्वाभाविक रूप से समाधि रहती है, जो पूर्ण स्वानंद स्वरूप है, वही विजयी है ॥



Glorious is he who has abandoned all goals and is the incarnation of satisfaction, his very nature, and whose inner focus on the Unconditioned is quite spontaneous . 




🙏 सुप्रभातम्🙏

🙏 *आपका दिन मंगलमय हो*🙏♏♈

[04/08, 06:40] Mayurbhai Vyas Slok: 🌹🙏 *हरी: ऊं*🙏🌹


*बहुनात्र किमुक्तेनज्ञाततत्त्वो महाशयः।*

*भोगमोक्षनिराकांक्षीसदा सर्वत्र नीरसः॥*



बहुत कहने से क्या लाभ? महात्मा पुरुष भोग और मोक्ष दोनों की इच्छा नहीं करता और सदा-सर्वत्र रागरहित होता है ॥



In brief, the great- souled man who has come to know the Truth is without desire for either pleasure or liberation, and is always and everywhere free from attachment 




🙏 सुप्रभातम्🙏

🙏 *आपका दिन मंगलमय हो*🙏♏♈

[05/08, 07:02] Mayurbhai Vyas Slok: 🌹🙏 *हरी: ऊं*🙏🌹


*महदादि जगद्द्वैतंनाममात्रविजृंभितं।*

*विहाय शुद्धबोधस्यकिं कृत्यमवशिष्यते॥*



महतत्त्व से लेकर सम्पूर्ण द्वैतरूप दृश्य जगत नाम मात्र का ही विस्तार है । शुद्ध बोध स्वरुप धीर ने जब उसका भी परित्याग कर दिया फिर भला उसका क्या कर्तव्य शेष है ॥



What remains to be done by the man who is pure awareness and has abandoned everything that can be expressed in words from the highest heaven to the earth itself ? 




🙏 सुप्रभातम्🙏

🙏 *आपका दिन मंगलमय हो*🙏♏♈

[06/08, 06:07] Mayurbhai Vyas Slok: 🌹🙏 *हरी: ऊं*🙏🌹


*भ्रमभृतमिदं सर्वंकिंचिन्नास्तीति निश्चयी।*

*अलक्ष्यस्फुरणः शुद्धःस्वभावेनैव शाम्यति॥*



यह सम्पूर्ण दृश्य जगत भ्रम मात्र है, यह कुछ नहीं है - ऐसे निश्चय से युक्त पुरुष दृश्य की स्फूर्ति से भी रहित हो जाता है और स्वभाव से ही शांत हो जाता है ॥



The pure man who has experienced the Indescribable attains peace by his own nature, realizing that all this is nothing but illusion, and that nothing is . 




🙏 सुप्रभातम्🙏

🙏 *आपका दिन मंगलमय हो*🙏♏♈

[07/08, 08:04] Mayurbhai Vyas Slok: 🌹🙏 *हरी: ऊं*🙏🌹


*शुद्धस्फुरणरूपस्यदृश्यभावमपश्यतः।*

*क्व विधिः क्व वैराग्यंक्व त्यागः क्व शमोऽपि वा॥*



जो शुद्ध स्फुरण रूप है, जिसे दृश्य सत्तावान नहीं मालूम पड़ता, उसके लिए विधि क्या, वैराग्य क्या, त्याग क्या और शांति भी क्या ॥



There are no rules, dispassion, renunciation or meditation for one who is pure receptivity by nature, and admits no knowable form of being ?




🙏 सुप्रभातम्🙏

🙏 *आपका दिन मंगलमय हो*🙏♏♈

[08/08, 05:58] Mayurbhai Vyas Slok: 🌹🙏 *हरी: ऊं*🙏🌹


*स्फुरतोऽनन्तरूपेणप्रकृतिं च न पश्यतः।*

*क्व बन्धः क्व च वा मोक्षःक्व हर्षः क्व विषादिता॥*



जो अनंत रूप से स्वयं स्फुरित हो रहा है और प्रकृति की पृथक् सत्ता को नहीं देखता है, उसके लिए बंधन कहाँ, मोक्ष कहाँ, हर्ष कहाँ और विषाद कहाँ ॥



For him who shines with the radiance of Infinity and is not subject to natural causality there is neither bondage, liberation, pleasure nor pain . 



🙏 सुप्रभातम्🙏

🙏 *आपका दिन मंगलमय हो*🙏♏♈

[09/08, 04:30] Mayurbhai Vyas Slok: 🌹🙏 *ऊं नमः शिवाय*🙏🌹


*स॒हस्र॑शीर्षा॒ पुरु॑षः । स॒ह॒स्रा॒क्षः स॒हस्र॑पात् ।*

*स भूमिं॑ वि॒श्वतो॑ वृ॒त्वा । अत्य॑तिष्ठद्दशाङ्गु॒लम् ॥*


सभी लोकों में व्याप्त महानारायण सर्वात्मक होने से अनन्त सिरवाले, अनन्त नेत्र वाले और अनन्त चरण वाले हैं. वे पाँच तत्वों से बने इस गोलकरूप समस्त व्यष्टि और समष्टि ब्रह्माण्ड को सब ओर से व्याप्त कर नाभि से दस अंगुल परिमित देश का अतिक्रमण कर हृदय में अन्तर्यामी रूप में स्थित हैं. जो यह वर्तमान जगत है, जो अतीत जगत है और जो भविष्य में होने वाला जगत है, जो जगत के बीज अथवा अन्न के परिणामभूत वीर्य से नर, पशु, वृक्ष आदि के रूप में प्रकट होता है, वह सब कुछ अमृतत्व (मोक्ष) के स्वामी महानारायण पुरुष का ही विस्तार है. 


The Purusha has thousand heads,

He has thousand eyes,

He has thousand feet,

He is spread all over the universe,

And is beyond the count with ten fingers.


*HAPPY SHRAVAN*


🙏 सुप्रभातम्🙏

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[10/08, 04:41] Mayurbhai Vyas Slok: 🌹🙏 *ऊं नमः शिवाय*🙏🌹


*पुरु॑ष ए॒वेदग्ं सर्वम्॓ । यद्भू॒तं यच्च॒ भव्यम्॓ ।*

*उ॒तामृ॑त॒त्व स्येशा॑नः । य॒दन्ने॑नाति॒रोह॑ति ॥*


इस महानारायण पुरुष की इतनी सब विभूतियाँ हैं अर्थात भूत, भविष्यत, वर्तमान में विद्यमान सब कुछ उसी की महिमा का एक अंश है. वह विराट पुरुष तो इस संसार से अतिशय अधिक है. इसीलिए यह सारा विराट जगत इसका चतुर्थांश है. इस परमात्मा का अवशिष्ट तीन पाद अपने अमृतमय (विनाशरहित) प्रकाशमान स्वरूप में स्थित है. यह महानारायण पुरुष अपने तीन पादों के साथ ब्रह्माण्ड से ऊपर उस दिव्य लोक में अपने सर्वोत्कृष्ट स्वरूप में निवास करता है और अपने एक चरण (चतुर्थांश) से इस संसार को व्याप्त करता है. अपने इसी चरण को माया में प्रविष्ट कराकर यह महानायण देवता, मनुष्य, पशु, पक्षी आदि के नाना रूप धारण कर समस्त चराचर जगत में व्याप्त है.


This Purusha is all the past,

All the future and the present,

He is the lord of deathlessness,

And he rises from hiding,

From this universe of food.


*HAPPY SHRAVAN*


🙏 सुप्रभातम्🙏

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[11/08, 04:40] Mayurbhai Vyas Slok: 🌹🙏 *ऊं नमः शिवाय*🙏🌹


*ए॒तावा॑नस्य महि॒मा । अतो॒ ज्यायाग्॑श्च॒ पूरु॑षः ।*

*पादो॓உस्य॒ विश्वा॑ भू॒तानि॑ । त्रि॒पाद॑स्या॒मृतं॑ दि॒वि ॥*


उस महानारायण पुरुष से सृष्टि के प्रारंभ में विराट स्वरूप ब्रह्माण्ड देह तथा उस देह का अभिमानी पुरुष (हिरण्यगर्भ) प्रकट हुआ. उस विराट पुरुष ने उत्पन्न होने के साथ ही अपनी श्रेष्ठता स्थापित की. बाद में उसने भूमि का, तदनन्तर देव, मनुष्य आदि के पुरों (शरीरों) का निर्माण किया . उस सर्वात्मा महानारायण ने सर्वात्मा पुरुष का जिसमें यजन किया जाता है, ऎसे यज्ञ से पृषदाज्य (दही मिला घी) को सम्पादित किया. उस महानारायण ने उन वायु देवता वाले पशुओं तथा जो हरिण आदि वनवासी तथा अश्व आदि ग्रामवासी पशु थे उनको भी उत्पन्न किया. 



This Purusha is much greater,

Than all his greatness in what all we see,

And all that we see in this universe is but his quarter,

And the rest three quarters which is beyond destruction,

Is safely in the worlds beyond.


*HAPPY SHRAVAN*


🙏 सुप्रभातम्🙏

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[12/08, 04:55] Mayurbhai Vyas Slok: 🌹🙏 *ऊं नमः शिवाय*🙏🌹


*त्रि॒पादू॒र्ध्व उदै॒त्पुरु॑षः । पादो॓உस्ये॒हाஉஉभ॑वा॒त्पुनः॑ ।*

*ततो॒ विष्व॒ण्-व्य॑क्रामत् । सा॒श॒ना॒न॒श॒ने अ॒भि ॥*


उस सर्वहुत यज्ञपुरुष से ऋग्वेद और सामवेद उत्पन्न हुए, उसी से सर्वविध छन्द उत्पन्न हुए और यजुर्वेद भी उसी यज्ञपुरुष से उत्पन्न हुआ. उसी यज्ञपुरुष से अश्व उत्पन्न हुए और वे सब प्राणी उत्पन्न हुए जिनके ऊपर-नीचे दोनों तरफ दाँत हैं. उसी यज्ञपुरुष से गौएँ उत्पन्न हुईं और उसी से भेड़-बकरियाँ पैदा हुईं. सृष्टि साधन योग्य या देवताओं और सनक आदि ऋषियों ने मानस याग की संपन्नता के लिए सृष्टि के पूर्व उत्पन्न उस यज्ञ साधनभूत विराट पुरुष का प्रोक्षण किया और उसी विराट पुरुष से ही इस यज्ञ को सम्पादित किया. 


Above this world is three quarters of Purusha,

But the quarter, which is in this world,

Appears again and again,

And from that is born the beings that take food,

And those inanimate ones that don’t take food.

And all these appeared for every one of us to see.


*HAPPY SHRAVAN*


🙏 सुप्रभातम्🙏

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[13/08, 07:38] Mayurbhai Vyas Slok: 🌹🙏 *ऊं नमः शिवाय*🙏🌹


*तस्मा॓द्वि॒राड॑जायत । वि॒राजो॒ अधि॒ पूरु॑षः ।*

*स जा॒तो अत्य॑रिच्यत । प॒श्चाद्-भूमि॒मथो॑ पु॒रः ॥*


जब यज्ञसाधनभूत इस विराट पुरुष की महानारायण से प्रेरित महत्, अहंकार आदि की प्रक्रिया से उत्पत्ति हुई, तब उसके कितने प्रकारों की परिकल्पना की हई? उस विराट के मुँह, भुजा, जंघा और चरणों का क्या स्वरूप कहा गया है? ब्राह्मण उस यज्ञोत्पन्न विराट पुरुष का मुख स्थानीय होने के कारण उसके मुख से उत्पन्न हुआ, क्षत्रिय उसकी भुजाओं से उत्पन्न हुआ, वैश्य उसकी जाँघों से उत्पन्न हुआ तथा शूद्र उसके चरणों से उत्पन्न हुआ. विराट पुरुष के मन से चन्द्रमा उत्पन्न हुआ, नेत्र से सूर्य उत्पन्न हुआ, कान से वायु और प्राण उत्पन्न हुए तथा मुख से अग्नि उत्पन्न हुई. 


From that Purusha was born,

The scintillating, ever shining universe,

And from that was born the Purusha called Brahma,

And he spread himself everywhere,

And created the earth and then,

The bodies of all beings.



🙏 सुप्रभातम्🙏

🙏 *आपका दिन मंगलमय हो*🙏♏♈

[14/08, 04:47] Mayurbhai Vyas Slok: 🌹🙏 *ऊं नमः शिवाय*🙏🌹


*यत्पुरु॑षेण ह॒विषा॓ । दे॒वा य॒ज्ञमत॑न्वत ।*

*व॒स॒न्तो अ॑स्यासी॒दाज्यम्॓ । ग्री॒ष्म इ॒ध्मश्श॒रध्ध॒विः ॥*


उस विराट पुरुष की नाभि से अन्तरिक्ष उत्पन्न हुआ और सिर से स्वर्ग प्रकट हुआ. इसी तरह से चरणों से भूमि और कानों से दिशाओं की उत्पत्ति हुई. इसी प्रकार देवताओं ने उस विराट पुरुष के विभिन्न अवयवों से अन्य लोकों की कल्पना की. जब विद्वानों ने इस विराट पुरुष के देह के अवयवों को ही हवि बनाकर इस ज्ञानयज्ञ की रचना की, तब वसन्त-ऋतु घृत, ग्रीष्म-ऋतु समिधा और शरद-ऋतु हवि बनी थी. जब इस मानस यागका अनुष्ठान करते हुए देवताओं ने इस विराट पुरुष को ही पशु के रूप में भावित किया, उस समय गायत्री आदि सात छन्दों ने सात परिधियों का स्वरूप स्वीकार किया, बारह मास, पाँच ऋतु, तीन लोक और सूर्यदेव को मिलाकर इक्कीस अथवा गायत्री आदि सात, अतिजगती आदि सात और कृति आदि सात छन्दों को मिलाकर इक्कीस समिधाएँ बनीं. 


The spring was the ghee,

The summer was the holy wooden sticks,

And the winter the sacrificial offering,

Used or the sacrifice conducted by Devas through thought,

In which they also sacrificed the ever-shining Purusha.



🙏 सुप्रभातम्🙏

🙏 *आपका दिन मंगलमय हो*🙏♏♈

[15/08, 04:37] Mayurbhai Vyas Slok: 🌹🙏 *ऊं नमः शिवाय*🙏🌹


*स॒प्तास्या॑सन्-परि॒धयः॑ । त्रिः स॒प्त स॒मिधः॑ कृ॒ताः ।*

*दे॒वा यद्य॒ज्ञं त॑न्वा॒नाः । अब॑ध्न॒न्-पुरु॑षं प॒शुम् ॥*


सिद्ध संकल्प वाले देवताओं ने विराट पुरुष के अवयवों की हवि के रूप में कल्पना कर इस मानस-यज्ञ में यज्ञपुरुष महानारायण की आराधना की. बाद में ये ही महानारायण की उपासना के मुख्य उपादान बने. जिस स्वर्ग में पुरातन साध्य देवता रहते हैं, उस दु:ख से रहित लोक को ही महानारायण यज्ञपुरुष की उपासना करने वाले भक्तगण प्राप्त करते हैं.


Seven meters were its boundaries,

Twenty one principles were holy wooden sticks,

And Devas carried out the sacrifice,

And Brahma was made as the sacrificial cow.




🙏 सुप्रभातम्🙏

🙏 *आपका दिन मंगलमय हो*🙏♏♈

[16/08, 04:36] Mayurbhai Vyas Slok: 🌹🙏 *ऊं नमः शिवाय*🙏🌹


*तं य॒ज्ञं ब॒र्॒हिषि॒ प्रौक्षन्॑ । पुरु॑षं जा॒तम॑ग्र॒तः ।*

*तेन॑ दे॒वा अय॑जन्त । सा॒ध्या ऋष॑यश्च॒ ये ॥*


उस महानारायण की उपासना के और भी प्रकार हैं – पृथिवी और जल के रस से अर्थात पाँच महाभूतों के रस से पुष्ट, सारे विश्व का निर्माण करने वाले, उस विराट स्वरूप से भी पहले जिसकी स्थिति थी, उस रस के रूप को धारण करने वाला वह महानारायण पुरुष पहले आदित्य के रूप में उदित होता है. प्रथम मनुष्य रूप उस पुरुष – मेधयाजी का यह आदित्य रूप में अवतरित ब्रह्म ही मुख्य आराध्य देवता बनता है. 


Sprinkled they the Purusha,

Who was born first,

On that sacrificial fire.

And the sacrifice was conducted further,

By the Devas called Sadyas,

And the sages who were there.



🙏 सुप्रभातम्🙏

🙏 *आपका दिन मंगलमय हो*🙏♏♈

[17/08, 04:47] Mayurbhai Vyas Slok: 🌹🙏 *ऊं नमः शिवाय*🙏🌹


*तस्मा॓द्य॒ज्ञात्-स॑र्व॒हुतः॑ । सम्भृ॑तं पृषदा॒ज्यम् ।*

*प॒शूग्-स्ताग्श्च॑क्रे वाय॒व्यान्॑ । आ॒र॒ण्यान्-ग्रा॒म्याश्च॒ ये ॥*


आदित्यस्वरूप, अविद्या के लवलेश से भी रहित तथा ज्ञानस्वरूप परम पुरुष उस महानारायण को मैं जानता हूँ. कोई भी प्राणी उस आदित्यरूप महानारायण पुरुष को जान लेने के उपरान्त ही मृत्यु का अतिक्रमण कर अमृतत्व को प्राप्त करता है. परम आश्रय के निमित्त अर्थात अमृतत्व की प्राप्ति के लिए इससे भिन्न कोई दूसरा उपाय नहीं है. सर्वात्मा प्रजापति अन्तर्यामी रूप से गर्भ के मध्य में प्रकट होता है. जन्म न लेता हुआ भी वह देवता, तिर्यक, मनुष्य आदि योनियों में नाना रूपों में प्रकट होता है. ब्रह्मज्ञानी ब्रह्मा के उत्पत्ति स्थान उस महानारायण पुरुष को सब ओर से देखते हैं, जिसमें सभी लोक स्थित हैं. 


From this sacrifice called “All embracing”.

Curd and Ghee came out,

Animals meant for fire sacrifice were born,

Birds that travel in air were born,

Beasts of the forest were born,

And also born were those that live in villages



🙏 सुप्रभातम्🙏

🙏 *आपका दिन मंगलमय हो*🙏♏♈

[18/08, 04:36] Mayurbhai Vyas Slok: 🌹🙏 *ऊं नमः शिवाय*🙏🌹


*तस्मा॓द्य॒ज्ञात्स॑र्व॒हुतः॑ । ऋचः॒ सामा॑नि जज्ञिरे ।*

*छन्दाग्ं॑सि जज्ञिरे॒ तस्मा॓त् । यजु॒स्तस्मा॑दजायत ॥*


जो आदित्यस्वरूप प्रजापति सभी देवताओं को शक्ति प्रदान करने के लिए सदा प्रकाशित रहता है, जो ब्रह्मा, विष्णु, महेश आदि देवताओं का बहुत पूर्वकाल से हित करता आया है, जो इन सबका पूज्य है, जो इन सब देवताओं से पहले प्रादुर्भूत हुआ है, उस ब्रह्मज्योतिस्वरूप परम पुरुष को हम प्रणाम करते हैं. इन्द्रियों के अधिष्ठाता देवताओं ने शोभन ब्रह्मज्योतिरूप आदित्य देव को प्रकट करते हुए सर्वप्रथम यह कहा कि हे आदित्य ! जो ब्राह्मण आपके इस अजर-अमर स्वरूप को जानता है, समस्त देवगण उस उपासक के वश में रहते हैं. 


From this sacrifice called “All embracing”’

The chants of Rig Veda were born,

The chants of Sama Veda were born,

And from that the well-known meters were born,

And from that Yajur Veda was born.



🙏 सुप्रभातम्🙏

🙏 *आपका दिन मंगलमय हो*🙏♏♈

[19/08, 04:47] Mayurbhai Vyas Slok: 🌹🙏 *ऊं नमः शिवाय*🙏🌹


*तस्मा॒दश्वा॑ अजायन्त । ये के चो॑भ॒याद॑तः ।*

*गावो॑ ह जज्ञिरे॒ तस्मा॓त् । तस्मा॓ज्जा॒ता अ॑जा॒वयः॑ ॥*


उसी यज्ञपुरुष से अश्व उत्पन्न हुए और वे सब प्राणी उत्पन्न हुए जिनके ऊपर-नीचे दोनों तरफ दाँत हैं. उसी यज्ञपुरुष से गौएँ उत्पन्न हुईं और उसी से भेड़-बकरियाँ पैदा हुईं



From that the horses came out,

From that came out animals with one row of teeth,

From that came out cows with two rows of teeth,

And from that that came out sheep and goats.



🙏 सुप्रभातम्🙏

🙏 *आपका दिन मंगलमय हो*🙏♏♈

[20/08, 04:48] Mayurbhai Vyas Slok: 🌹🙏 *ऊं नमः शिवाय*🙏🌹


*च॒न्द्रमा॒ मन॑सो जा॒तः । चक्षोः॒ सूर्यो॑ अजायत ।*

*मुखा॒दिन्द्र॑श्चा॒ग्निश्च॑ । प्रा॒णाद्वा॒युर॑जायत ॥*


विराट पुरुष के मन से चन्द्रमा उत्पन्न हुआ, नेत्र से सूर्य उत्पन्न हुआ, कान से वायु और प्राण उत्पन्न हुए तथा मुख से अग्नि उत्पन्न हुई. 


From his mind was born the moon,

From his eyes was born the sun,

From his face was born Indra and Agni,

And from his soul was born the air.



🙏 सुप्रभातम्🙏

🙏 *आपका दिन मंगलमय हो*🙏♏♈

[21/08, 04:28] Mayurbhai Vyas Slok: 🌹🙏 *ऊं नमः शिवाय*🙏🌹


*नाभ्या॑ आसीद॒न्तरि॑क्षम् । शी॒र्ष्णो द्यौः सम॑वर्तत ।*

*प॒द्भ्यां भूमि॒र्दिशः॒ श्रोत्रा॓त् । तथा॑ लो॒काग्म् अक॑ल्पयन् ॥*


उस विराट पुरुष की नाभि से अन्तरिक्ष उत्पन्न हुआ और सिर से स्वर्ग प्रकट हुआ. इसी तरह से चरणों से भूमि और कानों से दिशाओं की उत्पत्ति हुई. इसी प्रकार देवताओं ने उस विराट पुरुष के विभिन्न अवयवों से अन्य लोकों की कल्पना की. 


From his belly button was born the sky,

From his head was born the heavens,

From his feet was born the earth,

From his ears was born the directions,

And thus was made all the worlds,

Just by his holy wish.



🙏 सुप्रभातम्🙏

🙏 *आपका दिन मंगलमय हो*🙏♏♈

[22/08, 04:49] Mayurbhai Vyas Slok: 🌹🙏 *ऊं नमः शिवाय*🙏🌹


*ॐ येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:।*

*तेन त्वाम् अभिबध्नामि रक्षे मा चल मा चल॥*


राजा बलि जिस (रक्षा सूत्र) से बंध गए थे उसी से मैं तुम्हें भी बांधती हूँ। हे रक्षा! तुम स्थिर रहना, स्थिर रहना।


I am tying a Raksha to you, similar to the one tied to Bali the powerful king of demons.

Oh Rakshaa, be firm, do not waver.


*HAPPY RAKSHA BANDHAN*


🙏 सुप्रभातम्🙏

🙏 *आपका दिन मंगलमय हो*🙏♏♈

[23/08, 04:30] Mayurbhai Vyas Slok: 🌹🙏 *ऊं नमः शिवाय*🙏🌹


*वेदा॒हमे॑तं पुरु॑षं म॒हान्तम्॓ । आ॒दि॒त्यव॑र्णं॒ तम॑स॒स्तु पा॒रे ।*

*सर्वा॑णि रू॒पाणि॑ वि॒चित्य॒ धीरः॑ । नामा॑नि कृ॒त्वाஉभि॒वद॒न्॒, यदाஉஉस्ते॓ ॥*


जब विद्वानों ने इस विराट पुरुष के देह के अवयवों को ही हवि बनाकर इस ज्ञानयज्ञ की रचना की, तब वसन्त-ऋतु घृत, ग्रीष्म-ऋतु समिधा और शरद-ऋतु हवि बनी थी.


I know that heroic Purusha, who is famous,

Who shines like a sun,

And who is beyond darkness,

Who created all forms,

Who named all of them,

And who rules over them.



🙏 सुप्रभातम्🙏

🙏 *आपका दिन मंगलमय हो*🙏♏♈

[24/08, 04:39] Mayurbhai Vyas Slok: 🌹🙏 *ऊं नमः शिवाय*🙏🌹


*य॒ज्ञेन॑ य॒ज्ञम॑यजन्त दे॒वाः । तानि॒ धर्मा॑णि प्रथ॒मान्या॑सन् ।*

*ते ह॒ नाकं॑ महि॒मानः॑ सचन्ते । यत्र॒ पूर्वे॑ सा॒ध्यास्सन्ति॑ दे॒वाः ॥*


सिद्ध संकल्प वाले देवताओं ने विराट पुरुष के अवयवों की हवि के रूप में कल्पना कर इस मानस-यज्ञ में यज्ञपुरुष महानारायण की आराधना की. बाद में ये ही महानारायण की उपासना के मुख्य उपादान बने.


Thus the devas worshipped the Purusha,

Through this spiritual yagna,

And that yagna became first among dharmas.

Those who observe this Yagna,

Would for sure attain,

The heavens occupied by Saadya devas.



🙏 सुप्रभातम्🙏

🙏 *आपका दिन मंगलमय हो*🙏♏♈

[25/08, 10:02] Mayurbhai Vyas Slok: 🌹🙏 *ऊं नमः शिवाय*🙏🌹


*अ॒द्भ्यः सम्भू॑तः पृथि॒व्यै रसा॓च्च । वि॒श्वक॑र्मणः॒ सम॑वर्त॒ताधि॑ ।*

*तस्य॒ त्वष्टा॑ वि॒दध॑द्रू॒पमे॑ति । तत्पुरु॑षस्य॒ विश्व॒माजा॑न॒मग्रे॓ ॥*


पृथिवी और जल के रस से अर्थात पाँच महाभूतों के रस से पुष्ट, सारे विश्व का निर्माण करने वाले, उस विराट स्वरूप से भी पहले जिसकी स्थिति थी, उस रस के रूप को धारण करने वाला वह महानारायण पुरुष पहले आदित्य के रूप में उदित होता है. 


From water and essence of earth was born,

The all pervading universe.

From the great God who is the creator,

Then appeared that Purusha

And the great God, who made this world,

Is spread as that Purusha, in all fourteen worlds.

And also the great form of Purusha,

Came into being before the start of creation.




🙏 सुप्रभातम्🙏

🙏 *आपका दिन मंगलमय हो*🙏♏♈

[26/08, 04:33] Mayurbhai Vyas Slok: 🌹🙏 *ऊं नमः शिवाय*🙏🌹


*वेदा॒हमे॒तं पुरु॑षं म॒हान्तम्॓ । आ॒दि॒त्यव॑र्णं॒ तम॑सः॒ पर॑स्तात् ।*

*तमे॒वं वि॒द्वान॒मृत॑ इ॒ह भ॑वति । नान्यः पन्था॑ विद्य॒तेஉय॑नाय* 


प्रथम मनुष्य रूप उस पुरुष – मेधयाजी का यह आदित्य रूप में अवतरित ब्रह्म ही मुख्य आराध्य देवता बनता है. परम आश्रय के निमित्त अर्थात अमृतत्व की प्राप्ति के लिए इससे भिन्न कोई दूसरा उपाय नहीं है. 


I know that great Purusha,

Who shines like the sun,

And is beyond darkness,

And the one who knows him thus,

Attains salvation even in this birth,

And there is no other method of salvation.




🙏 सुप्रभातम्🙏

🙏 *आपका दिन मंगलमय हो*🙏♏♈

[27/08, 04:38] Mayurbhai Vyas Slok: 🌹🙏 *ऊं नमः शिवाय*🙏🌹


*प्र॒जाप॑तिश्चरति॒ गर्भे॑ अ॒न्तः । अ॒जाय॑मानो बहु॒धा विजा॑यते ।*

*तस्य॒ धीराः॒ परि॑जानन्ति॒ योनिम्॓ । मरी॑चीनां प॒दमिच्छन्ति वे॒धसः॑ ॥*


सर्वात्मा प्रजापति अन्तर्यामी रूप से गर्भ के मध्य में प्रकट होता है. जन्म न लेता हुआ भी वह देवता, तिर्यक, मनुष्य आदि योनियों में नाना रूपों में प्रकट होता है. 


The Lord of the universe,

Lives inside the universe,

And without being born,

Appears in many forms,

And only the wise realize his real form,

And those who know the Vedas,

Like to do the job of,

Savants like Mareechi.


🙏 सुप्रभातम्🙏

🙏 *आपका दिन मंगलमय हो*🙏♏♈

[28/08, 04:36] Mayurbhai Vyas Slok: 🌹🙏 *ऊं नमः शिवाय*🙏🌹


*यो दे॒वेभ्य॒ आत॑पति । यो दे॒वानां॓ पु॒रोहि॑तः ।*

*पूर्वो॒ यो दे॒वेभ्यो॑ जा॒तः । नमो॑ रु॒चाय॒ ब्राह्म॑ये ॥*


इन्द्रियों के अधिष्ठाता देवताओं ने शोभन ब्रह्मज्योतिरूप आदित्य देव को प्रकट करते हुए सर्वप्रथम यह कहा कि हे आदित्य ! जो ब्राह्मण आपके इस अजर-अमर स्वरूप को जानता है, समस्त देवगण उस उपासक के वश में रहते हैं. 


Salutations to ever shining brahmam,

Who gave divine power to devas,

Who is a religious teacher of devas,

And who was born before devas.


🙏 सुप्रभातम्🙏

🙏 *आपका दिन मंगलमय हो*🙏♏♈

[29/08, 04:48] Mayurbhai Vyas Slok: 🌹🙏 *ऊं नमः शिवाय*🙏🌹


*रुचं॑ ब्रा॒ह्मं ज॒नय॑न्तः । दे॒वा अग्रे॒ तद॑ब्रुवन् ।*

*यस्त्वै॒वं ब्रा॓ह्म॒णो वि॒द्यात् । तस्य॒ दे॒वा अस॒न् वशे॓ ॥*


इन्द्रियों के अधिष्ठाता देवताओं ने शोभन ब्रह्मज्योतिरूप आदित्य देव को प्रकट करते हुए सर्वप्रथम यह कहा कि हे आदित्य ! जो ब्राह्मण आपके इस अजर-अमर स्वरूप को जानता है, समस्त देवगण उस उपासक के वश में रहते हैं. 


The devas who teach the taste in Brahmam,

Told in ancient times,

That. He who has interest in Brahmam,

Would have the devas under his control.


🙏 सुप्रभातम्🙏

🙏 *आपका दिन मंगलमय हो*🙏♏♈

[30/08, 04:43] Mayurbhai Vyas Slok: 🌹🙏 *ऊं नमः शिवाय*🙏🌹


*ह्रीश्च॑ ते ल॒क्ष्मीश्च॒ पत्न्यौ॓ । अ॒हो॒रा॒त्रे पा॒र्श्वे ।नक्ष॑त्राणि रू॒पम् । अ॒श्विनौ॒ व्यात्तम्॓ ।*

*इ॒ष्टं म॑निषाण । अ॒मुं म॑निषाण । सर्वं॑ मनिषाण ॥*


हे महानारायण आदित्य ! श्री और लक्ष्मी आपकी पत्नियाँ हैं, ब्रह्मा के दिन-रात पार्श्वस्वरुप हैं, आकाश में स्थित नक्षत्र आपके स्वरूप हैं. द्यावापृथिवी आपके विकसित मुख हैं. प्रयत्नपूर्वक आप सदा मेरे कल्याण की इच्छा करें. मुझे आप अपना कल्याणमय लोक प्राप्त करावें और सारे योगैश्वर्य मुझे प्रदान करें. 


Hree and Lakshmi are your wives,

Day and night are your right and left,

The constellation of stars your body,

And Aswini devas your open mouth.

Give us the knowledge that we want,

Give us the pleasures of this world,

And give us everything of this and other worlds.


*HAPPY JANMASHTAMI*


🙏 सुप्रभातम्🙏

🙏 *आपका दिन मंगलमय हो*🙏♏♈

[31/08, 04:45] Mayurbhai Vyas Slok: 🌹🙏 *ऊं नमः शिवाय*🙏🌹


*यज्जाग्रतो दूरमुदैति दैवं*

*तदु सुप्तस्य तथैवैति।*

*दूरङ्गमं ज्योतिषां ज्योतिरेकं*

*तन्मे मनः शिवसंकल्पमस्तु ॥*


जो मन जगते हुए मनुष्य से बहुत दूर तक चला जाता है, वही द्युतिमान मन सुषुप्ति अवस्था में सोते हुए मनुष्य के समीप आकर लीन हो जाता है तथा जो दूर तक जाने वाला और जो प्रकाशमान श्रोत आदि इन्द्रियों को ज्योति देने वाला है, वह मेरा मन कल्याणकारी संकल्पवाला हो. 



That far-going light of all lights that flies to distances in one’s wakeful state, and even so in one’s sleep, may that, my mind, be filled with beautiful and benevolent thoughts.


🙏 सुप्रभातम्🙏

🙏 *आपका दिन मंगलमय हो*🙏♏♈

[01/09, 04:23] Mayurbhai Vyas Slok: 🌹🙏 *ऊं नमः शिवाय*🙏🌹


*येन कर्माण्यपसो मनीषिणोयज्ञेकृण्वन्ति विदथेषु धीराः।*

*यदपूर्वं यक्षमन्तः प्रजानांतन्मे मनः  शिवसंकल्पमस्तु ॥*


कर्मानुष्ठान में तत्पर बुद्धि संपन्न मेधावी पुरुष यज्ञ में जिस मन से शुभ कर्मों को करते हैं, प्रजाओं के शरीर में और यज्ञीय पदार्थों के ज्ञान में जो मन अद्भुत पूज्य भाव से स्थित है, वह मेरा मन कल्याणकारी संकल्प वाला हो. 


That by which the wise ones perform their sacred deeds in the yajyas, and the patient ones go into the battle-field of life, that which is the unique, mysterious light hidden in the innermost recesses of all beings, may that, my mind, be filled with beautiful and benevolent thoughts.


🙏 सुप्रभातम्🙏

🙏 *आपका दिन मंगलमय हो*🙏♏♈

[02/09, 04:50] Mayurbhai Vyas Slok: 🌹🙏 *ऊं नमः शिवाय*🙏🌹


*यत्प्रज्ञानमुतचेतो धृतिश्च*

*यज्ज्योतिरन्तरमृतं प्रजासु ।*

*यस्मान्नऋते किञ्चन  कर्मक्रियते*

*तन्मे मनः शिवसंकल्पमस्तु ॥*


जो मन प्रकर्ष ज्ञानस्वरुप, चित्तस्वरुप और धैर्यरूप है, जो अविनाशी मन प्राणियों के भीतर ज्योति रूप से विद्यमान है और जिसकी सहायता के बिना कोई कर्म नहीं किया जा सकता, वह मेरा मन कल्याणकारी संकल्प वाला हो. 


That which is awareness in itself, that which is consciousness; that which is patience, sustenance and memory. That which is amrita-jyoti, the deathless light present amongst all creatures, that without which no action is performed, may that, my mind, be filled with beautiful and benevolent thoughts.


🙏 सुप्रभातम्🙏

🙏 *आपका दिन मंगलमय हो*🙏♏♈

[03/09, 04:26] Mayurbhai Vyas Slok: 🌹🙏 *ऊं नमः शिवाय*🙏🌹


*येनेदं भूतं भुवनं भविष्यत्*

*परिगृहीतममृतेन सर्वम्।*

*येन यज्ञस्तायते सप्तहोता*

*तन्मे मनः शिवसंकल्पमस्तु ॥*


जिस शाश्वत मन के द्वारा भूतकाल, वर्तमानकाल और भविष्यकाल की सारी वस्तुएँ सब ओर से ज्ञात होती हैं और जिस मन के द्वारा सात होता वाला यज्ञ विस्तारित किया जाता है, वह मेरा मन कल्याणकारी संकल्प वाला हो. 


That amrita, the deathless one, by which is held all the past, the present and the future. That which presides over my intellect, O Lord, may that, my mind, be filled with beautiful and benevolent thoughts.


🙏 सुप्रभातम्🙏

🙏 *आपका दिन मंगलमय हो*🙏♏♈

[04/09, 04:30] Mayurbhai Vyas Slok: 🌹🙏 *ऊं नमः शिवाय*🙏🌹


*यस्मिन्नृचः साम यजूंषि*

*यस्मिन् प्रतिष्ठिता रथनाभाविवाराः।*

*यस्मिश्चित्तं सर्वमोतं प्रजानां*

*तन्मे मनः शिवसंकल्पमस्तु ॥*


जिस मन में ऋग्वेद की ऋचाएँ और जिसमें सामवेद तथा यजुर्वेद के मन्त्र उसी प्रकार प्रतिष्ठित हैं, जैसे रथचक्र की नाभि में अरे (तीलियाँ) जुड़े रहते हैं, जिस मन में प्रजाओं का सारा ज्ञान ओतप्रोत रहता है, वह मेरा मन कल्याणकारी संकल्प वाला हो. 


That by which is sustained the knowledge of the Rig, the music of the Saama, and the sacred deeds of the Yajur like the spokes in the hub of a wheel; that into which is woven and interwoven all the chitta and consciousness of all beings, may that, my mind, be filled with beautiful and benevolent thoughts.


🙏 सुप्रभातम्🙏

🙏 *आपका दिन मंगलमय हो*🙏♏♈

[05/09, 04:40] Mayurbhai Vyas Slok: 🌹🙏 *ऊं नमः शिवाय*🙏🌹


*सुसारथिरश्वानिव यन्मनुष्यान्*

*नेनीयतेऽभीशुभिर्वाजिन इव।*

*हृत्प्रतिष्ठं यदजिरं जविष्ठं*

*तन्मे मनः शिवसंकल्पमस्तु ॥*



जो मन मनुष्यों को अपनी इच्छा के अनुसार उसी प्रकार घुमाता रहता है, जैसे कोई अच्छा सारथी लगाम के सहारे वेगवान घोड़ों को अपनी इच्छा के अनुसार नियन्त्रित करता है, बाल्य, यौवन, वार्धक्य आदि से रहित तथा अतिवेगवान जो मन हृदय में स्थित है, वह मेरा मन कल्याणकारी संकल्प वाला हो. 


That by which is sustained the knowledge of the Rig, the music of the Saama, and the sacred deeds of the Yajur like the spokes in the hub of a wheel; that into which is woven and interwoven all the chitta and consciousness of all beings, may that, my mind, be filled with beautiful and benevolent thoughts.


🙏 सुप्रभातम्🙏

🙏 *आपका दिन मंगलमय हो*🙏♏♈

[06/09, 04:37] Mayurbhai Vyas Slok: 🌹🙏 *ऊं नमः शिवाय*🙏🌹


*ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् |*

*उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ||*


हम भगवान शिवशंकर की पूजा करते हैं, जिनके तीन नेत्र हैं, जो संपूर्ण जगत का पालन पोषण अपनी कृपादृष्टि से कर रहे हैं। उनसे हमारी प्रार्थना है कि वह हमें मृत्यु के बंधनों से मुक्त कर दें। जिस प्रकार एक ककड़ी इस बेल रूपी संसार में पककर उसके बंधनों से मुक्त हो जाती है, उसी प्रकार हम भी इस संसार रूपी में पक जाएं और आपके चरणों की अमृतधारा का पान करते हुए शरीर को त्यागकर आपमें लीन हो जाएं।


I surrender myself to Lord Shiva, who has three eyes, who is as pleasurable as a sweet smelling incense and who gives vitality to the devotee to perform devotional service. Just like a cucumber is freed from its stem naturally, be merciful upon me and release me from the shackles of death, not from immortality.



🙏 सुप्रभातम्🙏

🙏 *आपका दिन मंगलमय हो*🙏♏♈

[07/09, 06:54] Mayurbhai Vyas Slok: 🌹🙏 *ऊं नमः शिवाय*🙏🌹


*बुद्धिपर्यन्तसंसारेमायामात्रं विवर्तते।*

*निर्ममो निरहंकारोनिष्कामः शोभते बुधः॥*



बुद्धि के अंत तक ही संसार है और यह केवल माया का विवर्त है, इस तत्त्व को जानने वाला बुद्धिमान ममता, अहंकार और कामना से रहित होकर शोभित होता है ॥



Pure illusion reigns in samsara which will continue until self realisation, but the enlightened man lives in the beauty of freedom from me and mine, from the sense of responsibility and from any attachment. 



🙏 सुप्रभातम्🙏

🙏 *आपका दिन मंगलमय हो*🙏♏♈

[08/09, 06:40] Mayurbhai Vyas Slok: 🌹🙏 *ऊं नमः शिवाय*🙏🌹


*अक्षयं गतसन्ताप-मात्मानं पश्यतो मुनेः।*

*क्व विद्या च क्व वा विश्वंक्व देहोऽहं ममेति वा॥*



जो मुनि संताप से रहित अपने अविनाशी स्वरुप को जानता है, उसके लिए विद्या कहाँ और विश्व कहाँ अथवा देह कहाँ और मैं-मेरा कहाँ ॥



For the seer who knows himself as imperishable and beyond pain there is neither knowledge, a world nor the sense that I am the body or the body mine . 



🙏 सुप्रभातम्🙏

🙏 *आपका दिन मंगलमय हो*🙏♏♈

[09/09, 07:56] Mayurbhai Vyas Slok: 🌹🙏 *ऊं नमः शिवाय*🙏🌹


*निरोधादीनि कर्माणिजहाति जडधीर्यदि।*

*मनोरथान् प्रलापांश्चकर्तुमाप्नोत्यतत्क्षणात्॥*



जड़ बुद्धि वाला यदि निरोध आदि कर्मों को छोड़ देता है तो अगले क्षण बड़े-बड़े मनोरथ बनाने और प्रलाप करने लगता है ॥



No sooner does a man of low intelligence give up activities like the elimination of thought than he falls into mental chariot racing and babble .



🙏 सुप्रभातम्🙏

🙏 *आपका दिन मंगलमय हो*🙏♏♈

[10/09, 08:16] Mayurbhai Vyas Slok: 🌹🙏 *हरी ऊं*🙏🌹


*ॐ गणांना त्वा गणपतिं हवामहे*

*प्रियाणां त्वा प्रियपतिं हवामहे*

*निधिनां त्वा निधिपतिं हवामहे वसो मम*

*आह्मजानि गर्भधमात्वमजासि गर्भधम् ||* 



श्रीगणेश जी के लिए नमस्कार है. समस्त गणों का पालन करने के कारण गणपतिरूप में प्रतिष्ठित आप को हम आवाहित करते हैं, प्रियजनों का कल्याण करने के कारण प्रियपतिरुप में प्रतिष्ठित आपको हम आवाहित करते हैं और पद्म आदि निधियों का स्वामी होने के कारण निधिपतिरूप में प्रतिष्ठित आपको हम आवाहित करते हैं. हे हमारे परम धनरूप ईश्वर ! आप मेरी रक्षा करें. मैं गर्भ से उत्पन्न हुआ जीव हूँ और आप गर्भादिरहित स्वाधीनता से प्रकट हुए परमेश्वर हैं. आपने ही हमें माता के गर्भ से उत्पन्न किया है. 



Om, O Ganapati, To You Who are the Lord of the Ganas (Celestial Attendants or Followers), we Offer our Sacrificial Oblations,

You are the Wisdom of the Wise and the Uppermost in Glory,

You are the Eldest Lord (i.e. ever Unborn) and is of the Nature of Brahman (Absolute Consciousness); You are theEmbodiment of the Sacred Pranava (Om),

Please come to us by Listening to our Prayers and be Present in the Seat of this Sacred Sacrificial Altar.

Om, our Prostrations to the Mahaganadhipati (the Great Lord of the Ganas)


*HAPPY GANESH CHATURTHI*


🙏 सुप्रभातम्🙏

🙏 *आपका दिन मंगलमय हो*🙏♏♈

[11/09, 07:45] Mayurbhai Vyas Slok: 🌹🙏 *हरी ऊं*🙏🌹


*कश्यपोत्रिर्भरद्वाजो विश्वामित्रोथ गौतमः।*

*जमदग्निर्वसिष्ठश्च सप्तैते ऋषयः स्मृताः॥*

*दहंतु पापं सर्व गृह्नन्त्वर्ध्यं नमो नमः॥*


इस श्लोक में कश्यप, अत्रि, भारद्वाज, विश्वामित्र, गौतम, जमदग्नि, वसिष्ठ ऋषियों के नाम बताए गए हैं। इनके नामों के जाप से सभी पाप कर्म नष्ट हो जाते हैं।


The 7 sages who are worshiped on the day of Rishi Panchami. His names are Rishi Kashyap, Rishi Bharadwaj, Rishi Vishwamitra, Rishi Gautama, Rishi Jamadagni and Rishi Vasistha ji.


*HAPPY RUSHI PANCHAMI*


🙏 सुप्रभातम्🙏

🙏 *आपका दिन मंगलमय हो*🙏♏♈

[12/09, 07:51] Mayurbhai Vyas Slok: 🌹🙏 *हरी ऊं*🙏🌹


*मन्दः श्रुत्वापि तद्वस्तुन जहाति विमूढतां।*

*निर्विकल्पो बहिर्यत्नाद-न्तर्विषयलालसः॥*



अज्ञानी तत्त्व का श्रवण करके भी अपनी मूढ़ता का त्याग नहीं करता, वह बाह्य रूप से तो निसंकल्प हो जाता है पर उसके अंतर्मन में विषयों की इच्छा बनी रहती है ॥



A fool does not get rid of his stupidity even on hearing the truth. He may appear outwardly free from imaginations, but inside he is hankering after the senses still . 



🙏 सुप्रभातम्🙏

🙏 *आपका दिन मंगलमय हो*🙏♏♈

[13/09, 08:07] Mayurbhai Vyas Slok: 🌹🙏 *हरी ऊं*🙏🌹


*ज्ञानाद् गलितकर्मायो लोकदृष्ट्यापि कर्मकृत्।*

*नाप्नोत्यवसरं कर्मंवक्तुमेव न किंचन॥*



ज्ञान से जिसका कर्म-बंधन नष्ट हो गया है, वह लौकिक रूप से कर्म करता रहे तो भी उसके कुछ करने या कहने का अवसर नहीं रहता (क्योंकि वह अकर्ता और अवक्ता है) ॥ 



Though in the eyes of the world he is active, the man who has shed action through knowledge finds no means of doing or speaking anything . 



🙏 सुप्रभातम्🙏

🙏 *आपका दिन मंगलमय हो*🙏♏♈

[14/09, 07:15] Mayurbhai Vyas Slok: 🌹🙏 *हरी ऊं*🙏🌹


*क्व तमः क्व प्रकाशो वाहानं क्व च न किंचन।*

*निर्विकारस्य धीरस्यनिरातंकस्य सर्वदा॥*



जो धीर सदा निर्विकार और भय रहित है, उसके लिए अन्धकार कहाँ, प्रकाश कहाँ और त्याग कहाँ? उसके लिए किसी का अस्तित्व नहीं रहता ॥


For the wise man who is always unchanging and fearless there is neither darkness nor light nor destruction, nor anything . 



🙏 सुप्रभातम्🙏

🙏 *आपका दिन मंगलमय हो*🙏♏♈

[15/09, 07:43] Mayurbhai Vyas Slok: 🌹🙏 *हरी ऊं*🙏🌹


*क्व धैर्यं क्व विवेकित्वंक्व निरातंकतापि वा।*

*अनिर्वाच्यस्वभावस्यनिःस्वभावस्य योगिनः॥*



योगी को धैर्य कहाँ, विवेक कहाँ और निर्भयता भी कहाँ? उसका स्वभाव अनिर्वचनीय है और वह वस्तुतः स्वभाव रहित है ॥



There is neither fortitude, prudence nor courage for the yogi whose nature is beyond description and free of individuality . 



🙏 सुप्रभातम्🙏

🙏 *आपका दिन मंगलमय हो*🙏♏♈

[16/09, 07:55] Mayurbhai Vyas Slok: 🌹🙏 *हरी ऊं*🙏🌹


*न स्वर्गो नैव नरकोजीवन्मुक्तिर्न चैव हि।*

*बहुनात्र किमुक्तेनयोगदृष्ट्या न किंचन॥*



योगी के लिए न स्वर्ग है, न नरक और न जीवन्मुक्ति ही । इस सम्बन्ध में अधिक कहने से क्या लाभ है  योग की दृष्टि से कुछ भी नहीं है ॥



There is neither heaven nor hell nor even liberation during life. In a nutshell, in the sight of the seer nothing exists at all . 



🙏 सुप्रभातम्🙏

🙏 *आपका दिन मंगलमय हो*🙏♏♈

[17/09, 08:09] Mayurbhai Vyas Slok: 🌹🙏 *हरी ऊं*🙏🌹


*नैव प्रार्थयते लाभंनालाभेनानुशोचति।*

*धीरस्य शीतलं चित्तम-मृतेनैव पूरितम्॥*



धीर का चित्त ऐसे शीतल रहता है जैसे वह अमृत से परिपूर्ण हो । वह न लाभ की आशा करता है और न हानि का शोक ॥



He neither longs for possessions nor grieves at their absence. The calm mind of the sage is full of the nectar of immortality .



🙏 सुप्रभातम्🙏

🙏 *आपका दिन मंगलमय हो*🙏♏♈

[18/09, 07:52] Mayurbhai Vyas Slok: 🌹🙏 *हरी ऊं*🙏🌹


*न शान्तं स्तौति निष्कामोन दुष्टमपि निन्दति।*

*समदुःखसुखस्तृप्तः किंचित्कृत्यं न पश्यति॥*



धीर पुरुष न संत की स्तुति करता है और न दुष्ट की निंदा । वह सुख-दुख में समान, स्वयं में तृप्त रहता है । वह अपने लिए कोई भी कर्तव्य नहीं देखता ॥



The dispassionate does not praise the good or blame the wicked. Content and equal in pain and pleasure, he sees nothing that needs doing .



🙏 सुप्रभातम्🙏

🙏 *आपका दिन मंगलमय हो*🙏♏♈

[19/09, 08:26] Mayurbhai Vyas Slok: 🌹🙏 *हरी ऊं*🙏🌹


*धीरो न द्वेष्टि संसारमा-त्मानं न दिदृक्षति।*

*हर्षामर्षविनिर्मुक्तो नमृतो न च जीवति॥*



धीर पुरुष न संसार से द्वेष करता है और न आत्म-दर्शन की इच्छा । वह हर्ष और शोक से रहित है । लौकिक दृष्टि से वह न तो मृत है और न जीवित ॥



The wise man does not dislike samsara or seek to know himself. Free from pleasure and impatience, he is not dead and he is not alive . 



🙏 सुप्रभातम्🙏

🙏 *आपका दिन मंगलमय हो*🙏♏♈

[20/09, 08:06] Mayurbhai Vyas Slok: 🌹🙏 *हरी ऊं*🙏🌹


*निःस्नेहः पुत्रदारादौनिष्कामो विषयेषु च।*

*निश्चिन्तः स्वशरीरेऽपिनिराशः शोभते बुधः॥*



जो धीर पुरुष पुत्र-स्त्री आदि के प्रति आसक्ति से रहित होता है, विषय की उपलब्धि में उसकी प्रवृत्ति नहीं होती, अपने शरीर के लिए भी निश्चिन्त रहता है, सभी आशाओं से रहित होता है, वह सुशोभित होता है ॥



The wise man stands out by being free from anticipation, without attachment to such things as children or wives, free from desire for the senses, and not even concerned about his own body . 



🙏 सुप्रभातम्🙏

🙏 *आपका दिन मंगलमय हो*🙏♏♈

[21/09, 07:49] Mayurbhai Vyas Slok: 🌹🙏 *हरी ऊं*🙏🌹


*तुष्टिः सर्वत्र धीरस्ययथापतितवर्तिनः।*

*स्वच्छन्दं चरतो देशान्यत्रस्तमितशायिनः॥*



जहाँ सूर्यास्त हुआ वहां सो लिया, जहाँ इच्छा हुई वहां रह लिया, जो सामने आया उसी के अनुसार व्यवहार कर लिया । इस प्रकार धीर सर्वत्र संतुष्ट रहता है ॥



Peace is everywhere for the wise man who lives on whatever happens to come to him, going to wherever he feels like, and sleeping wherever the sun happens to set 


🙏 सुप्रभातम्🙏

🙏 *आपका दिन मंगलमय हो*🙏♏♈

[22/09, 07:47] Mayurbhai Vyas Slok: 🌹🙏 *हरी ऊं*🙏🌹


*पततूदेतु वा देहो नास्यचिन्ता महात्मनः।*

*स्वभावभूमिविश्रान्ति-विस्मृताशेषसंसृतेः॥*



जो अपने आत्मस्वरुप में विश्राम करते हुए सभी प्रपंचों का नाश कर चुका है, उस महात्मा को शरीर रहे अथवा नष्ट हो जाये - ऐसी चिंता भी नहीं होती ॥


Let his body rise or fall. The great souled one gives it no thought, having forgotten all about samsara in coming to rest on the ground of his true nature .  


🙏 सुप्रभातम्🙏

🙏 *आपका दिन मंगलमय हो*🙏♏♈

[23/09, 08:02] Mayurbhai Vyas Slok: 🌹🙏 *हरी ऊं*🙏🌹


*अकिंचनः कामचारोनिर्द्वन्द्वश्छिन्नसंशयः।*

*असक्तः सर्वभावेषुकेवलो रमते बुधः॥*



ज्ञानी पुरुष संग्रह रहित, स्वच्छंद, निर्द्वन्द्व और संशय रहित होता है । वह किसी भाव में आसक्त नहीं होता । वह तो केवल आनंद से विहार करता है ॥



The wise man has the joy of being complete in himself and without possessions, acting as he pleases, free from duality and rid of doubts, and without attachment to any creature . 



🙏 सुप्रभातम्🙏

🙏 *आपका दिन मंगलमय हो*🙏♏♈

[24/09, 07:57] Mayurbhai Vyas Slok: 🌹🙏 *हरी ऊं*🙏🌹


*निर्ममः शोभते धीरःसमलोष्टाश्मकांचनः।*

*सुभिन्नहृदयग्रन्थि-र्विनिर्धूतरजस्तमः॥*



धीर पुरुष की ह्रदय ग्रंथि खुल जाती है, रज और तम नष्ट हो जाते हैं । वह मिट्टी के ढ़ेले, पत्थर और सोने को समान दृष्टि से देखता है, ममता रहित वह सुशोभित होता है ॥



The wise man excels in being without the sense of 'me'. Earth, a stone or gold are the same to him. The knots of his heart have been rent asunder, and he is freed from greed and blindness . 



🙏 सुप्रभातम्🙏

🙏 *आपका दिन मंगलमय हो*🙏♏♈

[25/09, 08:02] Mayurbhai Vyas Slok: 🌹🙏 *हरी ऊं*🙏🌹


*सर्वत्रानवधानस्य नकिंचिद् वासना हृदि।*

*मुक्तात्मनो वितृप्तस्यतुलना केन जायते॥*



जो इस दृश्य प्रपंच पर ध्यान नहीं देता, आत्म तृप्त है, जिसके ह्रदय में जरा सी भी कामना नहीं होती - ऐसे मुक्तात्मा की तुलना किसके साथ की जा सकती है ॥



Who can compare with that contented, liberated soul who pays no regard to anything and has no desire left in his heart ? 



🙏 सुप्रभातम्🙏

🙏 *आपका दिन मंगलमय हो*🙏♏♈

[26/09, 09:53] Mayurbhai Vyas Slok: 🌹🙏 *हरी ऊं*🙏🌹


*जानन्नपि न जानातिपश्यन्नपि न पश्यति।*

*ब्रुवन्न् अपि न च ब्रूतेकोऽन्यो निर्वासनादृते॥*



कामनारहित धीर के अतिरिक्त ऐसा और कौन है जो जानते हुए भी न जाने, देखते हुए भी न देखे और बोलते हुए भी न बोले ॥ 



Who but the upright man without desire knows without knowing, sees without seeing and speaks without speaking ? 



🙏 सुप्रभातम्🙏

🙏 *आपका दिन मंगलमय हो*🙏♏♈

[27/09, 08:06] Mayurbhai Vyas Slok: 🌹🙏 *हरी ऊं*🙏🌹


*भिक्षुर्वा भूपतिर्वापि योनिष्कामः स शोभते।*

*भावेषु गलिता यस्यशोभनाशोभना मतिः॥*



राजा हो या रंक, जो कामना रहित है वह ही सुशोभित होता है । जिसकी दृश्य वस्तुओं में शुभ और अशुभ बुद्धि समाप्त हो गयी है वह निष्काम है ॥



Beggar or king, he excels who is without desire, and whose opinion of things is rid of 'good' and 'bad' . 



🙏 सुप्रभातम्🙏

🙏 *आपका दिन मंगलमय हो*🙏♏♈

[28/09, 08:24] Mayurbhai Vyas Slok: 🌹🙏 *हरी ऊं*🙏🌹


*क्व स्वाच्छन्द्यं क्व संकोचःक्व वा तत्त्वविनिश्चयः।*

*निर्व्याजार्जवभूतस्यचरितार्थस्य योगिनः॥*



योगी निष्कपट, सरल और चरित्रवान होता है । उसके लिए स्वच्छंदता क्या, संकोच क्या और तत्त्व विचार भी क्या ॥


There is neither dissolute behaviour nor virtue, nor even discrimination of the truth for the sage who has reached the goal and is the very embodiment of guileless sincerity .


🙏 सुप्रभातम्🙏

🙏 *आपका दिन मंगलमय हो*🙏♏♈

[29/09, 07:43] Mayurbhai Vyas Slok: 🌹🙏 *हरी ऊं*🙏🌹


*आत्मविश्रान्तितृप्तेननिराशेन गतार्तिना।*

*अन्तर्यदनुभूयेत तत्कथं कस्य कथ्यते॥*



जो अपने स्वरुप में विश्राम करके तृप्त है, आशा रहित है, दुःख रहित है, वह अपने अन्तः करण में जिस आनंद का अनुभव करता है वह कैसे किसी को बताया जा सकता है ॥



How can one describe what is experienced within by one desireless and free from pain, and content to rest in himself - and of whom ?



🙏 सुप्रभातम्🙏

🙏 *आपका दिन मंगलमय हो*🙏♏♈

[30/09, 07:58] Mayurbhai Vyas Slok: 🌹🙏 *हरी ऊं*🙏🌹


*सुप्तोऽपि न सुषुप्तौ चस्वप्नेऽपि शयितो न च।*

*जागरेऽपि न जागर्तिधीरस्तृप्तः पदे पदे॥*



धीर पुरुष पद-पद पर तृप्त रहता है । वह सोकर भी नहीं सोता, वह स्वप्न देखकर भी नहीं देखता और जाग्रत रहने पर भी नहीं जगता ॥



The wise man who is contented in all circumstances is not asleep even in deep sleep, not sleeping in a dream, nor waking when he is awake .


🙏 सुप्रभातम्🙏

🙏 *आपका दिन मंगलमय हो*🙏♏♈

[01/10, 07:50] Mayurbhai Vyas Slok: 🌹🙏 *हरी ऊं*🙏🌹


*ज्ञः सचिन्तोऽपि निश्चिन्तःसेन्द्रियोऽपि निरिन्द्रियः।*

*सुबुद्धिरपि निर्बुद्धिःसाहंकारोऽनहङ्कृतिः॥*



धीर पुरुष चिन्तावान होने पर भी चिंतारहित होता है, इन्द्रिय युक्त होने पर भी इन्द्रिय रहित होता है, बुद्धि युक्त होने पर भी बुद्धि रहित होता है और अहंकार सहित होने पर भी अहंकार रहित होता है ॥



The seer is without thoughts even when thinking, without senses among the senses, without understanding even in understanding and without a sense of responsibility even in the ego .



🙏 सुप्रभातम्🙏

🙏 *आपका दिन मंगलमय हो*🙏♏♈

[02/10, 08:14] Mayurbhai Vyas Slok: 🌹🙏 *हरी ऊं*🙏🌹


*न सुखी न च वा दुःखीन विरक्तो न संगवान्।*

*न मुमुक्षुर्न वा मुक्तान किंचिन्न्न च किंचन॥*



धीर पुरुष न सुखी होता है और न दुखी, न विरक्त होता है और न अनुरक्त । वह न मुमुक्षु है और न मुक्त । वह कुछ नहीं है, कुछ नहीं है ॥



A man with tranquil mind is n either happy nor unhappy, neither detached nor attached. He is neither seeking liberation nor liberated. He is nothing of these, nothing of these .



🙏 सुप्रभातम्🙏

🙏 *आपका दिन मंगलमय हो*🙏♏♈

[03/10, 09:02] Mayurbhai Vyas Slok: 🌹🙏 *हरी ऊं*🙏🌹


*विक्षेपेऽपि न विक्षिप्तःसमाधौ न समाधिमान्।*

*जाड्येऽपि न जडो धन्यःपाण्डित्येऽपि न पण्डितः॥*



धीर पुरुष विक्षेप में विक्षिप्त नहीं होता, समाधि में समाधिस्थ नहीं होता । उसकी लौकिक जड़ता में वह जड़ नहीं है और पांडित्य में पंडित नहीं है ॥



A man with tranquil mind does n ot get distracted by disturbances, in meditation  he does not meditate. A blessed man neither gains stupidity by his worldly acts, nor does he gets wisdom .


🙏 सुप्रभातम्🙏

🙏 *आपका दिन मंगलमय हो*🙏♏♈

[04/10, 06:03] Mayurbhai Vyas Slok: 🌹🙏 *हरी ऊं*🙏🌹



*मुक्तो यथास्थितिस्वस्थःकृतकर्तव्यनिर्वृतः।*

*समः सर्वत्र वैतृष्ण्यान्नस्मरत्यकृतं कृतम्॥*



धीर पुरुष सभी स्थितियों में अपने स्वरुप में स्थित रहता है । कर्तव्य रहित होने से शांत होता है । सदा समान रहता है । तृष्णा रहित होने के कारण वह क्या किया और क्या नहीं - इन बातों का स्मरण नहीं करता ॥



A man with tranquil mind remains established in his self. Being without any duty, he is at peace. He is always the same.As he is without greed, he does not recall what he has done or not done . 


🙏 सुप्रभातम्🙏

🙏 *आपका दिन मंगलमय हो*🙏♏♈

[05/10, 08:06] Mayurbhai Vyas Slok: 🌹🙏 *हरी ऊं*🙏🌹


*न प्रीयते वन्द्यमानोनिन्द्यमानो न कुप्यति।*

*नैवोद्विजति मरणेजीवने नाभिनन्दति॥*



वंदना करने से वह प्रसन्न नहीं होता, निंदा करने से क्रोधित नहीं होता । मृत्यु से उद्वेग नहीं करता और जीवन का अभिनन्दन नहीं करता ॥



He is neither pleased when praised nor gets upset when blamed. He is neither afraid of death nor attached to life . 


🙏 सुप्रभातम्🙏

🙏 *आपका दिन मंगलमय हो*🙏♏♈

[06/10, 08:03] Mayurbhai Vyas Slok: 🌹🙏 *हरी ऊं*🙏🌹


*न धावति जनाकीर्णंनारण्यं उपशान्तधीः।*

*यथातथा यत्रतत्रसम एवावतिष्ठते॥*


शांत बुद्धि वाला धीर न तो जनसमूह की ओर दौड़ता है और न वन की ओर । वह जहाँ जिस स्थिति में होता है, वहां ही समचित्त से आसीन रहता है ॥


A man at peace does not run off to popular resorts or to the forest. Wherever, he remains in whatever condition he exists with a tranquil mind.


🙏 सुप्रभातम्🙏

🙏 *आपका दिन मंगलमय हो*🙏♏♈

[07/10, 05:04] Mayurbhai Vyas Slok: 🌹🙏 *ऊं ऐं २ीं क्लीं चामुण्डाविच्चै नमः*🙏🌹


*विश्वेश्वरि त्वं परिपासि विश्वं*

*विश्वात्मिका धारयसीति विश्वम्।*

*विश्वेशवन्द्या भवती भवन्ति*

*विश्वाश्रया ये त्वयि भक्तिनम्राः॥*


विश्वेश्वरि! तुम विश्व का पालन करती हो। विश्वरूपा हो, इसलिए संपूर्ण विश्व को धारण करती हो। तुम भगवान विश्वनाथ की भी वंदनीया हो। जो लोग भक्तिपूर्वक तुम्हारे सामने मस्तक झुकाते हैं, वे सम्पूर्ण विश्व को आश्रय देने वाले होते हैं।


O Queen of the universe, you protect the universe. As the self of the universe, you support the universe. You are the goddess worthy to be adored by the Lord of the universe. Those who bow in devotion to you themselves become the refuge of the universe


*Happy Navratri*


🙏 सुप्रभातम्🙏

🙏 *आपका दिन मंगलमय हो*🙏♏♈

[08/10, 07:45] Mayurbhai Vyas Slok: 🌹🙏 *ऊं एँ रिँ क्लीँचामुण्डा विच्चै नमः*🙏🌹


*विधेरज्ञानेन द्रविणविरहेणालसतया*

*विधेयाशक्यत्वात्तव चरणयोर्या च्युतिरभूत्।*

*तदेतत् क्षन्तव्यं जननि सकलोद्धारिणि शिवे*

*कुपुत्रो जायेत क्व चिदपि कुमाता न भवति॥*


सबका उद्धार करने वाली हे करुणामयी माता! तुम्‍हारी पूजा की विधि न जानने के कारण, धन के अभाव में, आलस्‍य से और उन विधियों को अच्‍छी तरह न कर सकने के कारण तुम्‍हारे चरणों की सेवा करने में जो भूल हुई हो, उसे क्षमा करो, क्‍योंकि पूत तो कुपूत हो जाता है, पर माता कुमाता नहीं होती. ||



The offerings — which were due to the lack of knowledge of methodology, by the lack of resources, by indolence, or due to the lack of strength for submission — fallen [by me] on Your dual-feet, forgive all those mistakes, O Mother! O Shiva, Who absolves everyone! Because a son can become bad or ignorant about his duties as an offspring, but the Mother always remains a Mother.



*HAPPY NAVRATRI* 


🙏 सुप्रभातम्🙏

🙏 *आपका दिन मंगलमय हो*🙏♏♈

[09/10, 07:34] Mayurbhai Vyas Slok: 🌹🙏 *ऊं एँ रिँ क्लीँचामुण्डा विच्चै नमः*🙏🌹


*जगन्मातर्मातस्तव चरणसेवा न रचिता*

*न वा दत्तं देवि द्रविणमपि भूयस्तव मया।*

*तथापि त्वं स्नेहं मयि निरुपमं यत्प्रकुरुषे*

*कुपुत्रो जायेत क्व चिदपि कुमाता न भवति॥*


हे जगदम्‍ब, हे मात:! मैंने तुम्‍हारे चरण की सेवा नहीं की, तुम्‍हारे लिए भरपूर धन भी समर्पण नहीं किया. तो भी मेरे ऊपर यदि तुम ऐसा अनुपम स्‍नेह रखती हो, तो यह सच ही है कि क्‍योंकि पूत तो कुपूत हो जाता है, पर माता कुमाता नहीं होती. ||



O Mother! O Mother of the world! Your feet has not been engaged upon [by me] and, even more so, Your feet has not been submitted with offerings by me. Even then, You shower immaculate benevolence on me. Because a son can become bad or ignorant about his duties as an offspring, but the Mother always remains a Mother.||



*HAPPY NAVRATRI* 


🙏 सुप्रभातम्🙏

🙏 *आपका दिन मंगलमय हो*🙏♏♈

[10/10, 07:10] Mayurbhai Vyas Slok: 🌹🙏 *हरि:ऊँ श्री दुर्गायै नम:*🙏🌹


 *हेतुः समस्तजगतां त्रिगुणापि दोषैर्न*

*ज्ञायसे हरिहरादिभिरप्यपारा।*

*सर्वाश्रयाखिलमिदं जगदंशभूत-*

*मव्याकृता हि परमा प्रकृतिस्त्वमाद्या॥*


आप संपूर्ण जगत्‌की उत्पत्तिमें कारण हैं। आपमें सत्त्वगुण, रजोगुण और तमोगुण- ये तीनों गुण मौजूद हैं; तो भी दोषोंके साथ आपका संसर्ग नहीं जान पड़ता। भगवान् विष्णु और महादेवजी आदि देवता भी आपका पार नहीं पाते। आप ही सबका आश्रय हैं। यह समस्त जगत् आपका अंशभूत है; क्योंकि आप सबकी आदिभूत अव्याकृता परा प्रकृति हैं।


                                                                          You are the origin of all the worlds! Though you are possessed of the three gunas you are not known to have any of their attendant defects like passion! You are incomprehensible even to Vishnu, Shiva and others! You are the resort of all! this entire world is composed of an infinitesimal portion of yourself! You are verily the supreme primordial Prakriti untransformed.                                                                                                                                            

                                                                  *HAPPY NAVRATRI* 

🙏 सुप्रभातम्🙏

🙏 *आपका दिन मंगलमय हो*🙏♏♈

[11/10, 07:15] Mayurbhai Vyas Slok: 🌹🙏 *ऊं एँ रिँ क्लीँचामुण्डा विच्चै नमः*🙏🌹


*चिताभस्मालेपो गरलमशनं दिक्पटधरो*

*जटाधारी कण्ठे भुजगपतिहारी पशुपति:।*

*कपाली भूतेशो भजति जगदीशैकपदवीं*

*भवानि त्वत्पाणिग्रहणपरिपाटीफलमिदम्॥*


जो चिता का भस्‍म रमाए हैं, विष खाते हैं, नंगे रहते हैं, जटा-जूट बांधे हैं, गले में सर्पमाल पहने हैं, हाथ में खप्‍पर लिए हैं, पशुपति और भूतों के स्‍वामी हैं, ऐसे शिवजी ने भी एकमात्र जगदीश्‍वर की पदवी पाई है, वह हे भवानि! तुम्‍हारे साथ विवाह होने का ही फल है. ||



Kapali, Who has ashes from the burnt corpses on body, Who has the directions as clothes (cloth-less), Who has thick tress-locks, Who has a garland of king of snake in neck, Who is known as Pashupati, and Who is the ruler of ghosts, attains the position of poison-destroyer and Lord of the world. O Bhavani! This is just a result of addition of You as His consort.||




*HAPPY NAVRATRI* 


🙏 सुप्रभातम्🙏

🙏 *आपका दिन मंगलमय हो*🙏♏♈

[12/10, 06:59] Mayurbhai Vyas Slok: 🌹🙏 *हरि:ऊँ श्री दुर्गायै नम:*🙏🌹


*रोगानशेषानपहंसि तुष्टा रुष्टा तु* *कामान सकलानभीष्टान्।*

 *त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां* *त्वामाश्रिता हाश्रयतां प्रयान्ति।* 



अर्थातः देवी! तुम प्रसन्न होने पर सब रोगों को नष्ट कर देती हो और कुपित होने पर मनोवांछित सभी कामनाओं का नाश कर देती हो। जो लोग तुम्हारी शरण में जा चुके है। उनको विपत्ति तो आती ही नहीं। तुम्हारी शरण में गए हुए मनुष्य दूसरों को शरण देने वाले हो जाते हैं। 



‘When satisfied, you destroy all illness but when wrathful you frustrate all the longed-for desires. No calamity befalls men who have sought you. Those who have sought you become verily a refuge of others.



                                                                   *HAPPY NAVRATRI* 

🙏 सुप्रभातम्🙏

🙏 *आपका दिन मंगलमय हो*🙏♏♈

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