Afghan V/S Taliban અફઘાનિસ્તાન × તાલિબાન !!!

 [19/08, 17:36] +91 99244 00540: હમ્મ. કેટલું હલકું કૃત્ય કરે છે આ લોકો



એક જ ધર્મ નૉ અનુયાયી અને એક જ મઝહબ ને માનનારો આ ઝનૂની એવો તે કેવો ધર્મ હશે કે પોતાના જ ધર્મ નાં વ્યક્તિઓ ને મારે બેરહેમી થી કતલ કરે... હિંસા તો આ ધર્મ નાં લોહી માં વશે છે જે નજરે પડે જ છે...અને વારે વારે એ લોકો ઉદાહરણ પૂરું પણ પાડે છે...

[19/08, 17:37] +91 99244 00540: *अफगानिसतान : तालिबान* 


कहां मर गयी नोबल प्राइज विजेता मलाला ?


सवाल ये नहीं है की तालिबान क्या कर रहे है, सवाल ये है की तालिबान को सम्पूर्ण मुस्लिम समुदाय का मौन समर्थन है 


और इसका सीधा अर्थ है की सम्पूर्ण मुस्लिम समुदाय की मानसिकता  तालिबान की ही है।


अफगानिस्तान में तालिबान तांडव मचा रहा है, परंतु अब न ही मलाला दिखाई दे रही है, और न ही मियाँ खलीफा ..


रिहाना और ग्रेटा भी अब गायब हैं। भारतीय शान्ति दूतों के स्वरों को भी साँप सूंघ गया है।

 

तालिबान ने टाइट कपड़े पहनने पर लड़की को भूना, सरकारी कर्मचारियों से पत्नियाँ सौंपने को कहा, *मुगलिया सल्तनत* का डेमो देख लो भारतीय सेक्युलरों।


जब तक हिंदू हैं, तब तक ही अभिव्यक्ति का झुनझुना बजा पाओगे। उसके बाद अभिव्यक्ति कहा जायेगी पता नहीं।


इस्लाम क्या है, इसे समझना है तो अफगानिस्तान और तालिबान को देख लो।


ये अपनों के ही नहीं तो और किसी के क्या होंगे। मारने वाला मुसलमान, मरने वाला मुसलमान। 


ताज्जुब है की हमारे कुछ नेता चंद वोटों के खातिर इनको बढ़ावा  देते है।


कल्पना करो अफगानिस्तान की महिला व बच्चियों का अब क्या हाल होना है।


सोच कर देखो मुगलों ने तत्कालिन हिन्दु भाई-बहनो के साथ क्या क्या किया होगा ।


चप्पे-चप्पे पर इनकी क्रूरता का इतिहास है।


और आज भी ये नये-नये क्रूरता का इतिहास बनाते जा रहे है।


फिर भी ममता, केजरीवाल, लालू, मुलायम जैसे कुछ जयचंदो को नहीं दिखता।


आज भी कुछ लोग बांग्लादेशी व रोंहिग्या का साथ देकर क्या अपने घर व देश को असुरक्षित नहीं कर रहे हैं क्या?


होली, दीवाली या 15 अगस्त व 26 जनवरी को ही देश पर आतंकी घटना का अंदेशा क्यूं होता है ?


ईद, बकरीद व मोहर्रम को कोई खतरा क्यूं नही रहता।


अगर विवेक है तो चिंतन करो ।


🙏जय हिन्द🙏

[19/08, 19:38] +91 94998 37780: दो तस्वीरें हैं


एक जम्मू कश्मीर  राजौरी के राजवीर सिंह के 3 साल के बच्चे का जिसे आतंकियों ने 8 गोलियाँ मारी है ।


दूसरा 6 साल की अफगानिस्तान की बच्ची है जिसे तालिबान पकड़कर ले गया है सेक्स स्लेव बनाने के लिए।


पूरी दुनिया मे रक्तपात अत्याचार करने वाले आतंकियों का धर्म क्या है यदि क्षमता हो तो  तय कर लो ।


फिलीस्तीनी जब मारे जा रहँ थे तब भारत मे उनकी लैलाए कराह रही थी ,अब उन लैलाओ को  जम्मू-कश्मीर और अफगानिस्तान का कत्लेआम क्यो नही दिखता...?

[19/08, 19:38] +91 94998 37780: पोस्ट मार्टम

अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बीच एक महत्वपूर्ण घटना दब गई

जैसा कि मेरे नियमित पाठक जानते हैं कि कश्मीर से धारा 370 हटना, मेरा पसन्दीदा विषय है और दो साल बीतने के बाद भी मुझे यह ऐतिहासिक घटना बहुत रोमांचक लगती है.

जैसे कि सुरेंद्र मोहन पाठक का कोई थ्रिलर उपन्यास पढ़ रहे हैं, जिसमें ड्रामा, थ्रिल, एक्शन कामेडी ,  इमोशन और नाटकीय घटनाक्रम आदि सभी कुछ हो

लेकिन फिर याद आता है कि यह कोई उपन्यास नहीं है बल्कि हक़ीक़त में ऐसा ही हुआ है

कल जब कश्मीर के चप्पे-चप्पे पर, ज़र्रे जर्रे पर देश की शान और आनबान का प्रतीक तिरंगा लहरा रहा था तो सबसे तेज गति से गिरने वाले गिरपडे चैनल की मोटी आंटीया तो अफगानिस्तान पर ऐसे विलाप कर रही थी, जैसे उनके शौहर शहीद हो गए हों 

उन्होंने अपने कैमरे का रुख सीधा काबुल कर दिया था, हालांकि वंहा पर उनके कैमरामैन नहीं थे, फिर भी इधर उधर की फुटेज ढूंढ ढूंढ कर कवर स्टोरी बना रहे थे, लेकिन आदत से मजबूर और बदमाश दक्षिणपंथी मिडिया कश्मीर के चप्पे-चप्पे पर तैनात था और वो कश्मीर के छोटे से छोटे गांव और शहरों की तिरंगा फहराने की तसवीर लाइव प्रसारित कर रहे थे 

अब वामपंथी गिद्धों द्वारा संचालित इलेक्ट्रॉनिक मीडिया उनको ऐसा करने से रोक तो नहीं सकती थी कि भाई आज कश्मीर से हटाकर अपना कैमरा अफगानिस्तान में फोकस कर दीजिए 

बहरहाल zee ने कश्मीर के दुर्दांत और कुख्यात आतंकवादी बुरहान वानी, जिसको हमारे जांबाज सैनिकों ने कुछ सालो पहले मार गिराया था, और कश्मीर में काफी दिनों तक अशांति रही थी, उसके अब्बाजान द्वारा तिरंगे को फहराने  का लाइव प्रसारण किया 

दिल खुश हो गया 

एक दुर्दांत आंतकवादी, जिसके नाम से कश्मीर में दहशत छा जाती थी, उसके अब्बा द्वारा तिरंगा फहराने के बहुत सारे गहरे मायने होते हैं 

जाहिर है कि बुरहान के अब्बा ने अपनी मर्जी से तो तिरंगा नहीं फहराया होगा 

अब दो आंखे बारह हाथ जो भी कमाल  कर दे , वो कम है 

बहरहाल सच्चाई मैंने बता दी है 

और हाँ मोदी ने देश की सारी सम्पति और लालकिला  अंबानी और अडानी को बेच दिया है और पेट्रोल 110 रुपये लीटर (जिसमें से 40 रुपये राजस्थान सरकार राजस्व के रूप में ले लेती है)  हो गया है, ये सारी बातें मुझे मालूम है 

इसके अलावा कोई समाचार हो तो जरूर भेजे 

बड़ों को प्रणाम और छोटों को आशीर्वाद 

और वो बुरहान वानी के अब्बु द्वारा तिरंगा फहराने की बात किसी कॉंग्रेसी को ना बताये, बेचारों को व्यर्थ में दुख होगा 😃😃

अजित कोठारी 🇮🇳🇮🇳🇮🇳

[19/08, 19:28] +91 99989 72922: આજની અફઘાનિસ્તાન ની પરિસ્થિતિ બધાં જ જાણે છે,,,,


તમે વિચારો,,,૫૬ ની છાતી કોને કહેવાય,,,

રાજનીતિ કોને કહેવાય,,,


એર ઇન્ડિયા ની ફ્લાઇટ,,, કાબુલ એરપોર્ટ પર ઉતરે છે, તેમાં ઇંધણ ભરાય છે,,,

૧૨૯ જણા ને લઇ ને દિલ્હી પરત આવે છે,,,

જ્યાં તાલિબાની કબ્જો છે,,,

આજુબાજુ ના કોઈ દેશ ની ફ્લાઇટ ત્યાં જવાની હિંમત નથી કરતા,,,,

તો આ ભારત ની જ ફ્લાઇટ કાબુલ એરપોર્ટ પર ઉતરે અને ભારતીયો ને લઇ ને પરત આવે,,,,,

એમાં કંઈ ખબર પડી કે ભાવ વધારા ને જ રોવું છે😡😡

આ તાલિબાની આતંકવાદી ને પણ ખબર છે,,,,


ભારત માં સરકાર કોની છે,,,

અને,,,, મોદી શું કરી શકે છે,,,

અમેરિકા ની બીક લાગતી નથી,,,

પણ આ નવા ભારત ની,,,,

મોદી સરકાર ની બીક લાગે છે,,,,


સમજો,,,,, બાકી બીજી કોઈ સરકાર હોત તો કદાચ શું થાત એ વિચારી,,,, જાગૃત થવાથી ફાયદા માં રહેશો🔥🔥🔥🔥

[19/08, 19:39] +91 94285 54172: એમાં કોઇ છપ્પનની છાતી નથી.

એર ઇન્ડિયાની જે ફ્લાઇટ આવી છે એ ભારતીય દૂતાવાસના કર્મચારીઓને  લઈ ને આવી છે 

અને તાલિબાનોએ વિદેશના લોકોને રોક્યા નથી . માત્ર અફઘાનિસ્તાનના નાગરિકોનેજ રોક્યા છે .બીજા દેશોની ફ્લાઇટો પણ પોતપોતાના દૂતાવાસના કર્મચારીઓને લઈ જ ગઈ છે.એટલે કોઇની બહાદુરીનાં ખોટાં બણગાં ન ફૂંકાય.

અને હા આ ગૃપમાં  માત્ર શિક્ષક,આચાર્ય અને શિક્ષણ ને લગતા મેસેજ મૂકાય એજ વધારે યોગ્ય રહેશે


અફઘાન પાદરીઓ પ્રાર્થના માટે પૂછે છે

 

 જોશ મેનલી દ્વારા

 લેખ

 08.16.2021

 "જેલમાં છે તેમને યાદ રાખો, જેમ કે તેમની સાથે જેલમાં છે, અને જેઓ સાથે ખરાબ વર્તન કરવામાં આવે છે, કારણ કે તમે પણ શરીરમાં છો."  (હેબ 13: 3)


 તાલિબાન દળોએ અફઘાનિસ્તાનને અને હવે કાબુલનું પાટનગર ગળી લીધું હોવાથી, દેશના પાદરીઓ છેલ્લા કેટલાક દિવસોથી, કલાકો સુધી, પ્રાર્થના માટે બેચેન મને ઇમેઇલ અને મેસેજ કરી રહ્યા છે.



 સંયુક્ત આરબ અમીરાતમાં માત્ર એક નાની ફ્લાઇટ દૂર પેસ્ટિંગ, મને છેલ્લા દાયકામાં આ પુરુષો સાથે ભાગીદારી બનાવવાની તક મળી છે.  એક ઘરના ચર્ચ નેતાએ મને તે નાના ઓરડાની તસવીર મોકલી હતી જેમાં તે તેના પરિવાર સાથે છુપાયો હતો.  તેણે લખ્યું, “અહીં હું રહું છું.  અમે અત્યારે જુદા જુદા વિસ્તારોમાં છુપાયેલા છીએ. ”


 અન્ય પાદરીએ લખ્યું, “અમે સામાન્યની જેમ બહાર જઈ શકતા નથી.  તે ખતરનાક છે.  અમે મારા એક મિત્રના ઘરે ગયા, પરંતુ તે બિલકુલ સુરક્ષિત નથી. ”  વર્લ્ડમાં મિન્ડી બેલ્ઝ અહેવાલ આપે છે કે પાદરીઓ કહે છે કે તાલિબાનોએ તેમનો સંપર્ક કરીને કહ્યું છે કે તેઓ તેમના માટે આવી રહ્યા છે.


 અહીં ચોક્કસ રીતો છે જે તેઓએ તમને અને તમારા ચર્ચને પ્રાર્થના કરવા માટે કહ્યું છે.


 1. શારીરિક સુરક્ષા અને જોગવાઈ


 મેં એક ભાઈને પૂછ્યું કે શું તે હાલમાં શારીરિક જોખમમાં છે.  તેણે જવાબ આપ્યો, "માત્ર હું જ નહીં પણ મારો પરિવાર પણ ... મારા કારણે."


 આપણે પ્રાર્થના કરવાની જરૂર છે કે આપણા સાર્વભૌમ પ્રભુ ઈસુ  અફઘાનિસ્તાનમાં અમારા ભાઈઓ અને બહેનોનું શારીરિક રક્ષણ કરે.  બહાદુરીથી બ્રહ્માંડના સિંહાસન પર જાઓ અને દુષ્ટતાને રોકવા અને દુષ્ટ લોકોની યોજનાઓને મૂંઝવણમાં મૂકવા માટે આપણા  પ્રભુ ઈસુ ને વિનંતી કરો.


 શારીરિક જોગવાઈ માટે પણ પ્રાર્થના કરો.  એક ભાઈએ પૂછ્યું કે અમે "નાણાકીય સમસ્યાઓ માટે પ્રાર્થના કરીશું કારણ કે કોઈ પણ બેંકમાંથી પૈસા ન કાી શકે અને એટીએમ ખાલી છે."


अफ़ग़ानिस्तान से भागते हुए सभी पुरुष दिख रहे हैं जो अपनी स्त्रियों और बच्चों को तालिबानी लड़ाकों के लिए छोड़ कर भाग रहे हैं ..

अपनी छोटी छोटी बच्चियों को उन दरिंदों को सौंप कर अपनी जान बचा कर भाग रहे हैं । 

सोच कर कलेजा मुँह को आ जाता है.... 


यह कृत्य एकमात्र उनके आसमानी क़िताब की देन है जिसमें स्त्रियों को एक Sex object के अलावा कुछ नहीं माना जाता 


एक हमारा इतिहास उठा लीजिए , हमारे सिर कट गए हैं लेकिन हमने अपनी स्त्रियों की मर्यादा की रक्षा के लिए महाभारत कर दिया था और समुद्र तक पर पुल बाँध दिया था ।

लाखों क्षत्रियों ने सिर्फ अपनी ही नहीं , हर वर्ग की स्त्रियों की रक्षा के लिए धड़ाधड़ शीश काट दिए या तो कटा लिए लेकिन अपनी स्त्रियों की रक्षा से कोई समझौता नहीं किया । 


यह है हमारी संस्कृति और हमारे शास्त्र जिनमें स्त्रियों के बिना किसी पुरुष का अस्तित्व या समाज का अस्तित्व असंभव है । 


जहाँ वह अपने ही देश से , जहाँ उनके पुरखों से लेकर स्वयं तक जिस भूमि पर लोट कर बड़े हुए , उसको छोड़ कर भाग रहे हैं । 


दूसरी ओर हमारे देश का एक पुजारी , जो कि घोर काफ़िर है , वह अपने मन्दिर और विग्रहों को छोड़ कर जाने को तैयार नहीं 


उसे अच्छी तरह पता है कि उसका हश्र क्या होगा , लेकिन वह अपने कर्तव्य से च्युत नहीं हो रहा है । 


तो यह है अपनी शिक्षा , संस्कार , मूल्यों की महत्ता...

यह है हमारे शास्त्रों की महत्ता....

यह है हमारा DNA .....


हमें गर्व है अपने सनातनी होने और अपने धर्म पर !!!


अफगानिस्तान में होने वाला घटनाक्रम शायद एक बहुत बड़ा नाटक है दूसरे देश मे refugee भेजने का। ये जो लोग दिख रहे हैं क्या ये शरिया को मानने वाले लोग नही है। इनमें और तालिबान में अंतर क्या है। तालिबान में Aliens थोड़े है अफगानी ही है 90% अफगान वहां की सेना, ऑफिसर डॉक्टर सब तालिबान को support करते हैं इसलिए अमरीका back हो गया। भारत के लोग क्यो इतना उछल रहे समझ नही आ रहा। भारत का देवबंद क्या है वह भी तो तालिबान है। उसको खत्म कर अपनी पीढ़ियों की चिंता करो अफगान की चिंता करते हम केवल एक जोकर नजर आ रहे हैं। we are sitting on demographic time bomb 

काबुल की दुर्दशा का कारण अमेरिका का पलायन नहीं अफगानी सेना का अपने दीन के प्रति समर्पण है।

काबुल की सड़कों पर बर्बरता का नंगा नाच हो रहा है। भारत अफगानिस्तान में अपनी पूंजी लगाकर जो चौड़ी-चौड़ी सड़कें बनाया था उस पर तालिबानी आतंकवादी राइफल लहराते हुए अपनी गाड़ियां दौड़ा रहे हैं।

अमेरिका और नाटो की दस हजार की सेना कुछ हजार तालिबानों को गुफा में छुपने के लिए मजबूर कर दी थी, लेकिन क्या कारण है कि साढ़े तीन लाख की अफगानी सेना उन्हें नहीं रोक पायी? वास्तविकता तो यह है कि अफगानी सेना नें युद्ध ही नहीं लड़ा। बीस वर्षों से अमेरिका के पैसे पर पल रहे और प्रशिक्षित किए जा रहे सैनिक इन बर्बर असभ्यों से भला कैसे हार गए? वास्तविकता तो यह है कि वे हारे नहीं बल्कि स्वयं एक-एक राज्य सौंपते गए और अंत में काबुल भी सौंप दिए, क्योंकि यह उनके दीन की बात थी। भले ही वे अमेरिका से वेतन ले रहे थे लेकिन उनका ईमान तालिबानियों के साथ था। अमेरिका यह जान चुका था कि ओसामा और मुल्ला उमर के मारे जाने के बाद अफगानिस्तान में उसका अपना काम तो पूरा हो चुका है। अब वह ऐसे लोगों का बोझ ढो रहा है जो स्वयं तालिबान से लड़ने की इच्छा शक्ति नहीं रखते,बल्कि अपने मजहबी फरमान के आधार पर उनके प्रति सहानुभूति भी रखते हैं 

बीस वर्ष एक लम्बा समय होता है। कब तक कोई देश दूसरे का बोझ उठाएगा? वह भी उस परिस्थिति में जब सभी प्रयास मजहब के सामने राख में घी सुखाने की तरह  बेकार हों। वास्तव में यह अमेरिका का पलायन नहीं मजहब की मूलगामी सोच का प्रतिफल है। जो सरकारें और जो लोग इससे सबक नहीं लेंगे उन्हें भी भविष्य में ऐसे ही परिणाम के लिए तैयार रहना चाहिये।

[21/08, 09:59] +91 99244 00540: चूको मत चौहान….


अफगाणिस्तानातील काबूलच्या अंधार कोठडीत एक नर-सिंह उद्विग्नपणे येरझाऱ्या घालीत होता…. ज्या हातांतील तलवारीने शत्रूंच्या टोळधाडीला पळता भुई थोडी करून चारीमुंड्या चीत केले होते तेच हात साखळदंडांनी करकचून बांधले गेले होते… पळत्या घोड्यावर मांड ठोकणाऱ्या पायात भारी भक्कम बेड्या टाकून त्यांना जायबंदी केले गेले होते…. त्याच्या फोडल्या गेलेल्या डोळ्याच्या खोबणीत आजही प्रतिशोधाचा अंगार प्रज्वलित होता… अशा या बहाद्दर वीराचे नाव होते "हिंदशिरोमणी पृथ्वीराज चौहान"!


अजयमेरूच्या (अजमेर) या राजपूत वीराने परदेशी इस्लामिक आक्रमक मोहम्मद घौरी ला सोळा वेळा पराभूत केले होते आणि प्रत्येक वेळी उदारपणा दाखवत त्याला जिवंत सोडले, परंतु सतराव्या वेळेस त्यांचा पराभव झाला, तेव्हा मोहम्मद घौरी ने त्यांना सोडले नाही. त्याने त्यांना बंदिवान करून काबूल-अफगाणिस्तानात नेले. सोळा वेळेस पराभूत झाल्यावर ज्या घौरीने दया म्हणून प्राणाची भीक मागितली तोच घौरी बंदी केलेल्या पृथ्वीराजांवर आसूड ओढत होता आणि इस्लाम स्वीकारण्यासाठी अनन्वित छळ करीत होता. "प्राण गेला तरी बेहत्तर पण इस्लाम स्वीकारणार नाही" असे म्हणून डोळ्यास डोळा भिडवणाऱ्या पृथ्वीराजांचे डोळे फोडण्यात आले होते! 


पृथ्वीराजांचा इमानी राजकवी “चंद बरदाई”, आपल्या राजाला, पृथ्वीराजांना भेटायला थेट काबूलला पोहोचला! तेथील कैदेत असताना पृथ्वीराजांची दयनीय अवस्था पाहून चंद बरदाईच्या मनाला तीव्र धक्का बसला… आपल्या राजाचे असे हाल करणाऱ्या घौरीचा त्याने सूड घेण्याचे ठरवले… आपली योजना त्याने आपल्या राजांना सांगितली आणि विनंती केली कि, "हे राजा, आपण या घौरीला इतकेवेळा माफ केले, पण आता या सापाच्या अवलादीचा वध करण्याची वेळ आली आहे!" 


चंद बरदाई घौरीच्या दरबारात आला…. त्याने घौरीला सांगितले की, “आमचा राजा एक महाप्रतापी सम्राट आहे… तो एक महावीर योद्धा तर आहेच पण माझ्या राजाची तुला अवगत नसलेली एक खासियत म्हणजे, आमचे राजे ध्वनी-लक्ष-भेदनात प्रवीण आहेत! नुसत्या आवाजाच्या रोखाने बाण चालवून अचूक सावज टिपण्यात ते तरबेज आहेत!  जर तुमची इच्छा असेल तर आपण त्याच्या शब्दभेदी बाणांची अद्भुत कामगिरी स्वतः पाहू शकता! 


यावर घौरीचा विश्वासच बसेना, तो म्हणाला, "अरे, मी तर तुझ्या राजाचे दोन्ही डोळे फोडले आहेत… मग तो आंधळा कसा काय धनुष्यबाण चालवणार?”

 

चंद बरदाई अदबीने उत्तरला, "खाविंद, तुम्हाला खरं वाटत नसेल तर तुम्ही प्रत्यक्ष ही विद्या पाहू शकता… माझ्या राजांना इथे दरबारात बोलवा… काही अंतरावर लोखंडाचे सात तवे ठेवा…. आणि त्यांचा आवाज करायला सांगा…. माझे राजे आपल्या धनुष्यबाणाने त्या सातही तव्यांचे भेदन करतील!" 


घौरी कुत्सितपणे हसला नि म्हणाला, "तू तर फारच प्रशंसक आहेस तुझ्या राजाचा! पण एक लक्षात ठेव…. जर का तुझा राजा हि कला दाखवू शकला नाही, तर त्याच दरबारात मी तुझे आणि तुझ्या राजाचे डोके उडवून लावीन!” 


चंद बरदाईने घौरीची अट मान्य केली आणि बंदिगृहात आपल्या लाडक्या राजांच्या भेटीला आला. तिथे त्याने पृथ्वीराजांना घौरीसोबत झालेली बातचीत सांगितली, दरबाराची सविस्तर मांडणी विशद केली आणि दोघांनी मिळून आपली योजना आखली….


ठरल्याप्रमाणे घौरीने दरबार भरवला आणि हा कार्यक्रम पाहण्यासाठी आपल्या राज्यातील सर्व प्रमुख अधिकाऱ्यांना आमंत्रित केले…. भालदार चोपदार यांनी मोहम्मद घौरी दरबारात येत असल्याची वर्दी दिली…. आणि घौरी आपल्या उच्च आसनावर विराजमान झाला! 


चंद बरदाईच्या निर्देशानुसार सात मोठ्या लोखंडी तव्यांना ठराविक दिशेने व अंतरावर ठेवण्यात आले होते…. पृथ्वीराजांचे डोळे काढून आंधळे करण्यात आले असल्याने त्यांना चंद बरदाई च्या साहाय्याने दरबारात आणले गेले. घौरीला “शब्दभेदि बाणाचे दृश्य” नीट पाहता यावे म्हणून त्याच्या उच्च स्थानासमोरील मोकळया जागेत पृथ्वीराजांच्या बसण्याची सोय करण्यात आली होती… ते स्थानापन्न झाल्यावर त्यांच्या हातात धनुष्य आणि बाण देण्यात आले…


चंद बरदाई घौरीला म्हणाला,"खाविंद, माझ्या राजांचे साखळदंड आणि बेड्या काढण्यात याव्यात, जेणेकरून त्यांना आपल्या या अद्भुत कलेचे प्रदर्शन करता येईल" 

घौरीला त्यात काहीच धोका वाटलं नाही कारण, एक तर पृथ्वीराज डोळ्याने ठार आंधळा… चंद बरदाई सोडला तर त्याचा कोणी सैनिक नाही… आणि माझे सारे सैन्य माझ्याजवळ दरबारात उपस्थित आहे! त्याने लगेच पृथ्वीराजांना मोकळे साकारण्याचे फर्मान सोडले. 


चंद बरदाईने आपल्या परमप्रिय राजाला चरणस्पर्श करून सावध राहण्याची विनंती केली… त्याने आपल्या राजाचे गुणगान करणाऱ्या बिरुदावल्या म्हटल्या… आणि त्याच बिरुदावलीच्या माध्यमातून चंद बरदाईने आपल्या राजाला संकेत दिला….. 


“चार बांस, चौबीस गज, अंगुल अष्ठ प्रमाण।

ता ऊपर सुल्तान है, चूको मत चौहान।“


अर्थात् चार बांस, चोवीस गज आणि आठ वित एव्हढ्या उंचीवर सुल्तान बसला आहे…. तेव्हा राजे चौहान… कोणतीही चूक न करता तू नेम साधून आपले लक्ष्य साध्य कर!


या सांकेतिक बिरुदावलीतून पृथ्वीराजांना मोहम्मद घौरीच्या बसण्याच्या अंतराचा अचूक अंदाज आला. 

 

चंद बरदाईने घौरीला पुन्हा विनंती केली," महाराज, माझे राजे हे आपले बंदी आहेत, त्यामुळे आपली आज्ञा झाल्याशिवाय ते शस्त्र चालवणार नाहीत, तेव्हा आपण स्वतः त्यांना ऐकू जाईल एव्हढ्या उच्चरवाने माझ्या राजांना बाण चालवण्याची आज्ञा द्यावी"


घौरी या प्रशंसेने भारावून गेला आणि त्याने मोठ्याने उद्घोषणा केली..."चौहान चलावो बाण!... चौहान चलावो बाण!!.... चौहान चलावो बाण!!!"


घौरीचा आवाज ऐकल्या बरोबर पृथ्वीराज चौहान यांनी आपल्या धनुष्यावर चढवलेल्या बाणाची प्रत्यंचा ओढली आणि घौरीच्या आवाजाच्या दिशेने बाण सोडला नि त्या बाणाने अचूकरित्या घौरीच्या छातीचा वेध घेतला! 


काय होतंय हे कळायच्या आत, "या अल्लाह! दगा हो गया” अशी किंकाळी फोडत मोहम्मद घौरीचा देह सिंहासनावरून खाली कोसळला! 


दरबारात एकाच गोंधळ उडाला…. सारे सरदार हादरून गेले… तीच संधी साधून चंद बरदाई धावत आपल्या प्राणप्रिय राजाच्या जवळ आला… त्याने घौरी मृत होऊन कोसळल्याची बातमी आपल्या राजाला सांगितली… आपल्या बहादूर राजाला वंदन केले… दोघांनी एकमेकांना आलिंगन दिले… चंद बरदाई आणि पृथ्वीराजांना याची कल्पना होती कि, घौरी चा मृत्यू झाल्यावर त्याचे सैन्य आपल्याला छळ-छळ करून ठार मारणार… त्यामुळे आधीच ठरल्याप्रमाणे दोघांनी एकमेकांवर वार करून वसंत पंचमीच्या शुभ दिवशी माता सरस्वतीला आपल्या प्राणांचे अर्घ्य दिले!


पृथ्वीराज चौहान आणि कवी चंद बरदाई यांची हि आत्मत्यागाची शौर्य गाथा आपल्या भारतीय मुलांना अभिमानाने कथन करणे, त्यांच्यापर्यंत पोचणे आवश्यक आहे, म्हणून आज आपल्यासमोर आणली आहे. *आपण देखील ही शौर्यगाथा आपल्या मुलांसोबत शेअर कराल* हीच अपेक्षा. धन्यवाद...


_*वंदे मातरम...🇮🇳 🙏*_

[21/08, 09:59] +91 99244 00540: Translate in hindi


चूको मत चौहान...


 अफगानिस्तान के काबुल में एक अंधेरी कोठरी में एक नर शेर गुस्से से दहाड़ रहा था।  जिन तलवारों में शत्रु की टिड्डियों को तलवारें खदेड़ दी गई थीं, वे जंजीरों से बंधी हुई थीं।  उसकी चुभती आँख के छेद में आज भी प्रतिशोध के अंगारे जल रहे थे।


 अजयमेरु (अजमेर) के राजपूत नायक ने विदेशी इस्लामी आक्रमणकारी मोहम्मद गौरी को सोलह बार हराया था और हर बार दरियादिली दिखाते हुए उसे जिंदा छोड़ दिया था, लेकिन सत्रहवीं बार हारने पर मोहम्मद गौरी ने उसे जाने नहीं दिया।  उसने उन्हें पकड़ लिया और काबुल-अफगानिस्तान ले गया।  वही गौरी जिसने सोलहवीं बार में पराजित होने पर दया की भीख मांगी, वह वह था जिसे निर्वासित पृथ्वी राजाओं से मुक्त किया गया था और इस्लाम स्वीकार करने के लिए लगातार सताया गया था।  पृथ्वीराज की आँखें चमक उठीं और उन्होंने कहा, "मरना बेहतर है लेकिन इस्लाम स्वीकार नहीं करना"!


 पृथ्वीराज के वफादार शाही कवि "चंद बरदाई" सीधे अपने राजा पृथ्वीराज से मिलने काबुल पहुंचे!  पृथ्वीराज की दयनीय स्थिति को देखकर चांद बरदाई हैरान रह गया, जबकि वह वहां कैदी था। उसने गौरी से बदला लेने का फैसला किया, जिसने अपने राजा के साथ ऐसा व्यवहार किया था। यह अजगर को मारने का समय है! "


 चांद बरदाई गौरी के दरबार में आया।  उन्होंने गौरी से कहा, "हमारा राजा एक प्रतापी सम्राट है ... वह एक महान योद्धा है, लेकिन मेरे राजा की एक विशेषता जो आप नहीं जानते हैं वह यह है कि हमारे राजा ध्वनि-ध्यान-प्रवेश में कुशल हैं!"  वे केवल ध्वनि अवरोध के साथ तीर चलाकर सही उपकरण लेने में अच्छे हैं!  आप चाहें तो उनके भेदी बाणों का अद्भुत प्रदर्शन आप स्वयं देख सकते हैं!


 गौरी को विश्वास नहीं हुआ, उसने कहा, "ओह, मैंने तुम्हारे राजा की दोनों आंखें तोड़ दी हैं ... तो वह अंधा आदमी धनुष कैसे चला सकता है?"

 

 चांद बरदाई ने विनम्रता से उत्तर दिया, "खविन्द, यदि आप सत्य पर विश्वास नहीं करते हैं, तो आप वास्तव में इस विद्या को देख सकते हैं। मेरे राजाओं को यहाँ दरबार में बुलाओ।!"


 गौरी ने धूर्तता से मुस्कुराते हुए कहा, "तुम अपने राजा के बहुत बड़े प्रशंसक हो! लेकिन याद रखना... अगर तुम्हारा राजा यह कला नहीं दिखा सका, तो मैं तुम्हारा सिर और तुम्हारे राजा का सिर एक ही दरबार में उड़ा दूंगा!"


 चंद बरदाई ने गौरी की शर्त मान ली और जेल में अपने प्रिय राजा से मिलने आया।  वहाँ उन्होंने पृथ्वीराज को गौरी से हुई बातचीत के बारे में बताया, दरबार की विस्तृत रूपरेखा के बारे में बताया और उन दोनों ने मिलकर अपनी योजना बनाई।


 योजना के अनुसार, गौरी ने दरबार भर दिया और अपने राज्य के सभी शीर्ष अधिकारियों को कार्यक्रम देखने के लिए आमंत्रित किया।  भालदार चोपदार ने वर्दी दी कि मोहम्मद गौरी दरबार में आ रहे हैं।  और गौरी अपने ऊँचे आसन पर बैठ गया!


 चांद बरदाई के निर्देशानुसार सात बड़े लोहे के तवे एक निश्चित दिशा और दूरी में रखे गए….  जैसे ही पृथ्वीराज की आंखें निकाल दी गईं और वह अंधा हो गया, उसे चांद बरदाई की मदद से दरबार में लाया गया।  उनके ऊँचे स्थान के सामने खुले स्थान में पृथ्वी के राजा बैठे थे ताकि गौरी को "छेदने वाले तीर का शब्द" दिखाई दे।


 चाँद बरदाई ने गौरी से कहा, "खविन्द, मेरे राजाओं की जंजीरें और बेड़ियाँ हटा दी जाएँ, ताकि वे अपनी इस अद्भुत कला को प्रदर्शित कर सकें।"

 गौरी को इसमें कोई खतरा महसूस नहीं हुआ क्योंकि, एक तरफ पृथ्वीराज मौत से अंधे हो गए थे, अगर उन्होंने चांद बरदाई को छोड़ दिया, तो उनके पास कोई सैनिक नहीं है… और मेरी सारी सेना मेरे साथ दरबार में मौजूद है!  उन्होंने तुरंत पृथ्वीराज को रिहा करने का फरमान जारी किया।


 चांद बरदाई ने अपने प्रिय राजा के चरण छूकर सावधान रहने का अनुरोध किया… उसने अपने राजा की प्रशंसा करते हुए उपाधियाँ कहा… और उसी उपाधि के माध्यम से चाँद बरदाई ने अपने राजा को संकेत दिया ..


 “चार बांस, चौबीस गज, आठ सप्तक प्रमाण।

 ऊपर एक सुल्तान है, चौहान को याद मत करना।"


 यानी सुल्तान चार बांस, चौबीस गज और आठ फीट की ऊंचाई पर बैठा है।  तो राजा चौहान कर बिना किसी गलती के अपने लक्ष्य को प्राप्त करें!


 इस सांकेतिक डिग्री से पृथ्वीराज को मोहम्मद गौरी के बैठने की दूरी का सटीक अनुमान लग गया।

 

 चंद बरदाई ने फिर गौरी से कहा, "महोदय, मेरे राजा आपके बंदी हैं, इसलिए वे आपकी आज्ञा के बिना हथियार नहीं रखेंगे, इसलिए आप मेरे राजाओं को इतनी जोर से तीर चलाने की आज्ञा दें कि आप उन्हें स्वयं सुन सकें।"


 इस प्रशंसा से गौरी अभिभूत हो गए और वह जोर से चिल्लाए... "चौहान चलावो बन!... चौहान चलावो बन!!!!!"


 गौरी की आवाज सुनते ही पृथ्वीराज चौहान ने अपने धनुष पर बाण चलाकर गौरी की आवाज की दिशा में एक बाण चला दिया और तीर गौरी के सीने में जा घुसा!


 "या अल्लाह! दागा हो गया" चिल्लाते हुए, मोहम्मद गौरी का शरीर सिंहासन से नीचे गिर गया!


 कोर्ट में एक ही हंगामा हुआ।  सभी प्रमुख कांपने लगे। चांद बरदाई ने अपने प्रिय राजा के पास दौड़ने का अवसर लिया। उसने अपने राजा से कहा कि गौरी मर गया और गिर गया। उसने अपने बहादुर राजा को नमन किया। जब यह खत्म हो जाएगा, तो उसकी सेना आपको यातना देगी और मार डालेगी।


 पृथ्वीराज चौहान और कवि चंद बरदाई की आत्म-बलिदान की यह वीर गाथा हमारे भारतीय बच्चों को गर्व के साथ सुनाई जानी चाहिए, और उन तक पहुँचना आवश्यक है, इसलिए आज हम इसे आपके सामने लेकर आए हैं।  उम्मीद है कि आप भी अपने बच्चों के साथ वीरता की यह कहानी साझा करेंगे।  धन्यवाद!


 वन्दे मातरम ...🇮🇳

***

अल जजीरा की खबर है की साफिया फिरोज जो अफगानिस्तान वायु सेना की महिला फाइटर पायलट थी उसे कल सुबह तालिबान ने पत्थरों से मार मार कर कत्ल कर दिया, 

***

***

***


*નરી વાસ્તવિકતા*
*એક ભગતડુ 5 કિલો અનાજ નુ બાસ્કું લઈને જતા જતા કેતુ હતુ કે*
                                                                     *અફઘાનિસ્તાન ની હાલત ઘણી જ ખરાબ છે*
*અલા ભાઇ આપણીય ચો હારી છે..નકરી મોઘવારી અને બેકારી*
😂😂😂


***

तालिबान पर ताली

        किसके लिए है गाली?


क्यों खुश है, अफगानिस्तान के हाल पर?

और पागलों जैसे, बजाता दिखता है ताली।

तालिबान के लिए खूब कशीदे पढ़ा करता,

वास्तव में वह, खुद को ही देता है गाली।

क्यों खुश है………..


डर के साए में जी रहे हैं अफगानी लोग,

इनको जकड़ लिया अब, तालिबानी रोग।

पूरा काबुल उबला काबुली चना लगता है,

रफूचक्कर हो गई सबके चेहरे की लाली।

क्यों खुश है…………..


जिसको स्वर्ग समान देश में लगता है डर,

वह खुशी से खरीद सकता, काबुल में घर।

शैतान जाकर रहने लगता, भोले साथियों,

अगर दोटांगा पशु का, दिमाग हो खाली।

क्यों खुश है…………


जिसको हिंसा में खिलते दिख रहे हैं फूल,

उसकी इबादत को, खुदा कैसे करे कबूल?

दिन रात गोलियां बरस रही हैं इंसान पर,

कांटे उग आए, क्या करे फूलों की डाली?

क्यों खुश है……………


वहां भेड़ बकरी जैसे, मारे जा रहे इंसान,

गाजर मूली की तरह काट रहे हैं शैतान।

ऐसे तो ओले भी नहीं गिरते हैं बारिश में,

जैसे वहां पर गोलियां दाग रहे हैं मवाली।

क्यों खुश है……………


प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।


सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,

नासिक (महाराष्ट्र)/

जयनगर (मधुबनी) बिहार


***

*Afghan - Taliban conflict is nothing but a drama Syria 2.0*


How many of you remember that in 2015, media published the dead child's picture on sea shore claiming it to be a syrian refugee child and gathered all support for syrian refugees and opened the doors of European countries for syrian and other Muslim refugees.


6 years down, you all know how the demography has changed in Europe. 


In next 5 years, most Europe will become Islamic. 


*Current Afghan - Taliban circus is nothing but a re-run of the same script.*


1. They described taliban as monsters who will kill Afghani but in reality they haven't killed anyone. Only stories of barbaric acts are flouting. 


2. By showing Kabul airport yesterday, they are gathering exactly the same sympathy for so called innocent Afghani.


3. *Lakhs of Afghani will take refuge in only non-Muslim countries and will start flourishing there.*


4. Remember, *these Afghani refugees will not go to Muslim Countries.*


5. These Afghani refugees are nothing but taliban who will carry the agenda of Islamisation of the non-Muslim countries.


6. They have already cleared all non-Muslim population in Afghanistan. 


*This is bloodless tectics to convert the world to Islam*


  *forwarded as received*

***

ને કેમેરા રોઈ પડ્યા.(કાબુલ)


જીગરના ટુકડા સાવ અજાણ્યા હાથોમાં સોંપાતા જોયા...

ને કેમેરા રોઈ પડ્યા.

સહમી મમતાની આંખોએ ગીદ્ધોને મંડરાતા જોયા...

ને કેમેરા રોઈ પડ્યા.


ઝરણાંઓ પર્વતમાં પાછા પનાહ લેવા દોટ મૂકે છે

પંખીઓ ટહુકાને બદલે માળામાં જઇ પોક મૂકે છે


માસુમ આંખોમાંથી જ્યારે દરિયાને  ઠલવાતા જોયા...

ને કેમેરા રોઈ પડ્યા.


એવો કેવો ખોફ હશે કે હવા'ય પણ ગૂંગળાઇ મરે છે

છેક મૂળમાંથી ઉખડીને વૃક્ષો ઘાંઘા થઈ ફરે છે


હતભાગી એ ધૂળ,ધરાએ કુટુંબને વિખરાતા જોયા...

ને કેમેરા રોઈ પડ્યા.


મુઠ્ઠીમાં અજવાળું લઈને નાનકડી પગલી પૂછે છે

ભસ્માસૂરના એ સૌ સર્જક પરસેવાને કેમ લૂછે છે ?


માનવતાની દુહાઈ દેનારાઓને સંતાતા જોયા...

ને કેમેરા રોઈ પડ્યા.


કૃષ્ણ દવે







Comments

Popular posts from this blog

શિક્ષક દિન વિશેષ...

સારવારના સરનામાં

દિન વિશેષ...